Breaking NewsMaharashtraMumbaiPolitics
महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनी तो मुंबई से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को करेंगे बाहर: अमित शाह
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अब बस एक हफ्ते का समय बचा है, और सभी राजनीतिक दल प्रचार के अंतिम दौर में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। राज्य की 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुंबई के कांदिवली और घाटकोपर में रैलियां कीं, जिसमें उन्होंने विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन पर तीखे वार किए और भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन की जीत का दावा किया।
कांदिवली की रैली में अमित शाह के प्रमुख बयान:
- एमवीए पर तीखा हमला: अमित शाह ने अपने संबोधन में एमवीए गठबंधन को सत्ता का “लालची” बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने इसे फिर से सत्ता से बाहर करने का मन बना लिया है। उन्होंने कहा, “सत्ता की लालची एमवीए गठबंधन की फिर से हार तय है, क्योंकि महाराष्ट्र की जनता मोदी जी के नेतृत्व वाली महायुति के साथ है।”
- संविधान और आरक्षण का मुद्दा: शाह ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने संविधान के साथ जालसाजी कर बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एमवीए गठबंधन का रुख हमेशा आरक्षण के खिलाफ रहा है और महाराष्ट्र के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने जनता से अपील की कि एमवीए के आरक्षण-विरोधी एजेंडे को नकारें और इसे सत्ता से बाहर रखें।
- बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं का मुद्दा: अमित शाह ने ऐलान किया कि भाजपा के नेतृत्व में महायुति सरकार बनने पर मुंबई से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को बाहर निकाला जाएगा। यह बयान एमवीए गठबंधन के प्रति शाह के आक्रामक रुख को दिखाता है और अवैध प्रवासियों के मुद्दे को भाजपा के चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनाता है।
- पीयूष गोयल का समर्थन: बोरीवली विधानसभा क्षेत्र, जो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का क्षेत्र है, में शाह ने महायुति के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया। उन्होंने गोयल के कार्यों की सराहना करते हुए जनता से महायुति के पक्ष में मतदान की अपील की।
महाराष्ट्र की जनता के बीच बढ़ता चुनावी माहौल
महाराष्ट्र चुनाव के अंतिम चरण में, अमित शाह के इस आक्रामक अभियान से भाजपा का स्पष्ट संदेश है कि वह एमवीए को भ्रष्टाचार और आरक्षण विरोधी पार्टी के रूप में चित्रित करके मतदाताओं का समर्थन चाहती है। महायुति और एमवीए के बीच बढ़ती बयानबाजी और तीखे हमलों से चुनावी माहौल और भी गर्म हो गया है। अब देखना है कि 20 नवंबर को जनता किसे अपना समर्थन देती है।