महाराष्ट्र चुनाव: मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं, लेकिन महायुति से ही बनेगा सीएम – एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा बयान दिया है। शिंदे ने कहा है कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं, लेकिन यह भी साफ किया कि अगला मुख्यमंत्री महायुति (एनडीए) गठबंधन से ही बनेगा।
अमित शाह ने दिया था बड़ा संकेत
गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल ही में कहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद महायुति के सहयोगी दल मिलकर मुख्यमंत्री पद पर फैसला करेंगे। शाह ने विश्वास जताया था कि महायुति पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी।
कांग्रेस और उद्धव पर शिंदे का तीखा हमला
एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बाला साहेब ठाकरे को राहुल गांधी कब हिंदू हृदय सम्राट कहेंगे? उद्धव ने अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और भाजपा की पीठ में छुरा घोंपा।”
उन्होंने उद्धव ठाकरे पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि अगर बाला साहेब आज जीवित होते, तो वे अपने बेटे को वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के लिए जंगल भेज देते।
महाराष्ट्र की सियासत: महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी
महाराष्ट्र में इस बार महायुति और महा विकास अघाड़ी के बीच कांटे की टक्कर है।
- महायुति: भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी।
- महा विकास अघाड़ी: कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना।
2019 के चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद भाजपा सत्ता से बाहर रही थी, जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत ने महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर किया, जिसके बाद भाजपा के सहयोग से शिंदे मुख्यमंत्री बने।
20 नवंबर को मतदान, 23 नवंबर को नतीजे
महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। इसके नतीजे 23 नवंबर को झारखंड और अन्य राज्यों की सीटों के साथ घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में जहां महायुति गठबंधन सत्ता में वापसी का दावा कर रहा है, वहीं महा विकास अघाड़ी अपने एकजुटता के दम पर भाजपा और शिंदे सरकार को चुनौती दे रही है।
क्या कहता है चुनावी माहौल?
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, महाराष्ट्र का यह चुनाव न केवल सत्ता का भविष्य तय करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि शिंदे और अजित पवार की बगावत को जनता किस तरह देखती है। वहीं, उद्धव ठाकरे के लिए यह अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का मौका है।