भोपाल आलमी तब्लीगी इज्तिमा: इमान और यकीन को मजबूत करने का मरकज़
भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चार दिवसीय आलमी तब्लीगी इज्तिमा बड़े जोश और खरोश के साथ जारी है। इस इज्तिमा में लाखों की तादाद में मुस्लिम उम्मत के लोग शरीक हो रहे हैं। पहले दिन मुफ़्ती अब्दुल अज़ीज़ इंदौरी ने अपनी तक़रीर में ‘हलाल और हराम’ के मसले पर तफ़्सील से रौशनी डाली और बताया कि इस्लाम में इन दोनों के बीच फर्क को समझना हर मोमिन के लिए कितना अहम है।
हलाल और हराम पर तक़रीर
मुफ़्ती अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि हलाल और हराम का तअल्लुक़ सिर्फ़ खाने-पीने तक सीमित नहीं है, बल्कि जिंदगी के तमाम पहलुओं में इसे अपनाना जरूरी है। उन्होंने तजकिरा किया कि अच्छी नीयत से किए गए छोटे-से-छोटे अमल को अल्लाह क़ुबूल करता है, जबकि खराब नीयत से किए गए बड़े से बड़े काम का कोई फायदा नहीं होता। मुफ़्ती साहब ने फरमाया:
“जैसी नीयत होगी, वैसे ही अमल का अंजाम होगा। अगर नीयत साफ़ है, तो एक खजूर का सदका भी जन्नत का दरवाज़ा खोल सकता है।”
सादगी भरी शादियों पर जोर
पहले दिन 350 जोड़ों का सामूहिक निकाह भी हुआ। इनमें से 160 जोड़े भोपाल से थे और 190 जोड़े अन्य जिलों से आए थे। मौलाना यूसुफ कंधवाली ने निकाह का खुत्बा पढ़ते हुए नए जोड़ों को नसीहत दी कि उनका रिश्ता न सिर्फ़ दुनिया के लिए, बल्कि आख़िरत के लिए भी एक इबादत है। उन्होंने कहा:
“सादगी भरी शादियां समाज को बदलने की ताकत रखती हैं। इससे गैरजरूरी खर्चे बचाए जा सकते हैं, और गरीब लड़कियों के निकाह का रास्ता आसान बनाया जा सकता है।”
इमान और यकीन को मजबूत करने का मकसद
मौलाना अब्दुल मलिक ने इज्तिमा के मकसद पर रौशनी डालते हुए कहा कि इस आयोजन का असल मकसद उम्मत का इमान और यकीन मजबूत करना है। उन्होंने बताया कि जब इंसान का यकीन मजबूत होगा, तो अल्लाह उसके हर मुश्किल काम को आसान कर देगा। उन्होंने नमाज के महत्व पर जोर देते हुए फरमाया कि नमाज अल्लाह से राब्ता कायम करने का सबसे बड़ा जरिया है।
दुनियाभर से पहुंचे मेहमान
इस इज्तिमा में म्यांमार, मोरक्को, सऊदी अरब, बांग्लादेश, मलेशिया, उज्बेकिस्तान, फ्रांस, यूके और यूएस समेत कई देशों से मेहमान शामिल हो रहे हैं। देशभर से भी सैकड़ों जमातें यहां पहुंच चुकी हैं। इस इज्तिमा को इस्लामी एकता का सबसे बड़ा मरकज़ माना जाता है, जहां हर साल लाखों मुसलमान शरीक होते हैं।
सुरक्षा और इंतेज़ामात
इज्तिमा के दौरान जिला प्रशासन और पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 1500 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। नगर निगम और अन्य विभाग भी 24 घंटे व्यवस्था को संभालने में जुटे हैं। नमाज के लिए खासतौर पर जगह-जगह इंतजाम किए गए हैं।
नमाज और तक़रीरों का शेड्यूल
- फजर की नमाज: सुबह 6:15 बजे
- जोहर की नमाज: दोपहर 1:30 बजे
- असर की नमाज: शाम 4:15 बजे
- मगरिब की नमाज: शाम 5:40 बजे
- ईशा की नमाज के बाद तक़रीर।
आखिरी दिन सामूहिक दुआ का आयोजन
इज्तिमा का समापन 2 दिसंबर को होगा, जहां सामूहिक दुआ का आयोजन किया जाएगा। इस दुआ में लाखों लोग अल्लाह से रहमत, बरकत और सुकून की दुआ करेंगे।
इज्तिमा की खासियत
आलमी तब्लीगी इज्तिमा न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह मुसलमानों को आपस में जोड़ने और इस्लामी तालीम को मजबूत करने का भी बड़ा मौका है। सामूहिक निकाह, तक़रीरें, और दुआएं इसे खास बनाती हैं। हर साल की तरह इस बार भी यह इज्तिमा उम्मत को एकता और भाईचारे का संदेश दे रहा है।
“अल्लाह इस इज्तिमा को कामयाब करे और पूरी दुनिया में अमन-ओ-शांति का पैगाम फैलाए।”