बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा के लिए भारत में मुस्लिम समुदाय ने उठाई आवाज
नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खास बात यह है कि इस विरोध में केवल हिंदू संगठन ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहा है। महाराष्ट्र के नागपुर, नासिक और ठाणे के मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम युवाओं और धार्मिक नेताओं ने मार्च निकालकर बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की निंदा की और मानवता के पक्ष में एकजुटता दिखाई।
ठाणे के मुंब्रा-कलवा इलाके में दारुल फलाह मस्जिद के सामने मुस्लिम समुदाय ने एकत्र होकर प्रदर्शन किया। मौलाना अब्दुल वहाब जैसे धार्मिक नेताओं ने कहा, “बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाइयों पर हमले हो रहे हैं, जो मानवता विरोधी हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम इन घटनाओं की निंदा करें और भारत सरकार से अपील करें कि वह बांग्लादेश सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बनाए।”
मुस्लिम महिलाओं और युवाओं ने जताई एकजुटता
इस प्रदर्शन में मुस्लिम युवतियों और महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। एक युवा महिला ने कहा, “इस्लाम भेदभाव नहीं सिखाता। पैगंबर मोहम्मद ने शांति, प्यार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की शिक्षा दी है। बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार हमें दर्द देते हैं, और इसे रोकना हमारी जिम्मेदारी है।”
मानवता और इस्लाम की शिक्षा का संदेश
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के मुसलमानों से भी अपील की कि वे इस्लाम की मूल शिक्षाओं को याद रखें और हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा करें। एक युवती ने कहा, “हमारा धर्म प्रेम और करुणा का संदेश देता है। हमें हर धर्म के लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए और किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।”
केंद्र सरकार से अपील
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनाएं ताकि वहां के हिंदू अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिल सके।
मानवता की मिसाल
मुंब्रा के इस विरोध मार्च ने दिखा दिया कि भारतीय मुस्लिम समुदाय न केवल अन्याय के खिलाफ खड़ा है, बल्कि मानवता और भाईचारे के संदेश को भी प्राथमिकता देता है। इन प्रदर्शनों ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भारत का समाज विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच आपसी सम्मान और सहयोग की भावना से प्रेरित है।