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बैलेट पेपर ने खोली EVM की पोल? बालासाहेब की वापसी और मनोज घोरपड़े की हार ने बदले सियासी समीकरण

सातारा जिले की प्रतिष्ठित सह्याद्रि सहकारी शक्कर कारखाना के हालिया चुनाव परिणामों ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। इस चुनाव में शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बालासाहेब पाटिल ने जबरदस्त जीत हासिल की है। खास बात यह रही कि यह चुनाव ईवीएम नहीं, बल्कि पारंपरिक बैलेट पेपर से कराया गया था।

इस मुकाबले में भाजपा के विधायक मनोज घोरपड़े को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। गौरतलब है कि यही मनोज घोरपड़े 2024 के विधानसभा चुनाव में बालासाहेब पाटिल को 43,000 से अधिक मतों से हराने में सफल रहे थे। मगर इस बार शक्कर कारखाने के चुनाव में समीकरण पूरी तरह पलट गए।

सभी 21 सीटों पर बालासाहेब पाटिल पैनल की जीत
सह्याद्रि फैक्ट्री चुनाव में कुल 26,081 मतदाताओं ने हिस्सा लिया। पाटिल समर्थित पैनल को 15,000 से अधिक मत प्राप्त हुए, जबकि घोरपड़े और कांग्रेस नेता उदयसिंह पाटिल के पैनल को संयुक्त रूप से केवल 7,000-8,000 वोट ही मिले। वहीं तीसरे पैनल को मात्र 2,200 से 2,300 मतों पर संतोष करना पड़ा।

ईवीएम पर विपक्ष के आरोप फिर हुए प्रासंगिक
2024 में भाजपा नीत महायुति सरकार की बड़ी जीत के बाद विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA) ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे और बैलेट पेपर से चुनाव की मांग की थी। अब सह्याद्रि फैक्ट्री में हुए इस बैलेट चुनाव के नतीजों ने MVA के दावे को बल दिया है।

महिला प्रदेश अध्यक्ष रोहिणी खड़से का बयान
शरद पवार गुट की महिला प्रदेश अध्यक्ष रोहिणी खड़से ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जहां विधायक को हजारों वोट मिले थे, वहीं अब बैलेट पेपर पर हुए चुनाव में उन्हें उसके आधे भी वोट नहीं मिले। यह अंतर सोचने पर मजबूर करता है।”

अब राज्य की राजनीति में यह सवाल फिर से गर्म है – क्या ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए? सह्याद्रि फैक्ट्री के चुनाव ने इस बहस को और अधिक धार दे दी है।

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