चर्मकार समाज के लिए गटई स्टॉल और व्यवसायिक अनुदान की मांग, सामाजिक न्याय मंत्री से मुलाकात
औरंगाबाद: संत रविदास परिवर्तन सेना के महाराष्ट्र सचिव प्रवीण बोरुडे और समाज के अन्य प्रतिनिधियों ने सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाठ से भेंट कर चर्मकार समाज के लिए गटई स्टॉल (कार्य स्टॉल) उपलब्ध कराने और उद्योग-व्यवसाय के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान देने की मांग की।
चर्मकार समाज के लोग लंबे समय से अपनी आजीविका के लिए सड़कों के किनारे बैठकर चमड़े की वस्तुएं और जूते-चप्पलों की मरम्मत का कार्य करते आ रहे हैं। उनकी यह सेवा बिना किसी संरचना के खुले आसमान के नीचे जारी है, जिसमें उन्हें गर्मी, सर्दी और बारिश का सामना करना पड़ता है।
8 वर्षों से नहीं मिला कोई स्टॉल
चर्मकार समाज को पिछले 8 वर्षों से महाराष्ट्र राज्य के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा कोई गटई स्टॉल वितरित नहीं किया गया है। इसके कारण समाज के लोग नाराज हैं और इस उपेक्षा से वे असुरक्षित और असुविधाजनक परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं।
चर्मकार समाज की समस्याएं:
- सड़कों के किनारे बैठने के कारण उनका व्यवसाय मौसम की मार झेल रहा है।
- खुले में काम करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- स्थायी स्टॉल न होने के कारण उनकी आय पर प्रतिकूल असर हो रहा है।
मांगें:
प्रवीण बोरुडे और उनके साथ उपस्थित समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि:
- चर्मकार समाज के हर व्यक्ति को स्थायी गटई स्टॉल दिया जाए।
- उनके व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया जाए।
- इस संबंध में सामाजिक न्याय विभाग को आवश्यक बजट आवंटित किया जाए।
मंत्री से निवेदन करने वाले प्रतिनिधि:
इस मांग को लेकर प्रवीण बोरुडे के साथ अशोक वाघमारे, किशोर मिमरोट, किशोर कटारे, प्रभु कटारे, मनोज रेस्वाल और विजू कटारे जैसे समाज के अन्य प्रमुख प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
चर्मकार समाज के लिए यह क्यों जरूरी है?
इस समुदाय के लोग न केवल अपनी मेहनत से अपनी आजीविका चलाते हैं, बल्कि समाज को महत्वपूर्ण सेवाएं भी प्रदान करते हैं। इनकी मांगें पूरी होने से उनकी जीवनशैली में सुधार होगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी।
संत रविदास परिवर्तन सेना ने उम्मीद जताई है कि सामाजिक न्याय मंत्री जल्द ही उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाएंगे।