मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा और बीजेपी में असंतोष का खुलासा

हिंसा प्रभावित मणिपुर में अंततः राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विपक्षी कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की धमकी के बाद कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है, लेकिन पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए नया नाम घोषित नहीं कर सकी। संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार, विधानसभा सत्र को छह महीने के भीतर बुलाना अनिवार्य है। मणिपुर में पिछला सत्र 12 अगस्त 2024 को हुआ था, जिसके बाद बुधवार तक अगला सत्र बुलाना जरूरी था। ऐसा न होने के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
पार्टी में असंतोष की वजह से इस्तीफा
बीजेपी में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी असंतोष की वजह से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से विचार-विमर्श के बाद इस्तीफा दिया। सहयोगी दलों के समर्थन वापस लेने के बावजूद बीजेपी के पास बहुमत था, लेकिन फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना की संभावना थी।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस मणिपुर में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है।
मणिपुर में हिंसा की पृष्ठभूमि
3 मई 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच तनाव हिंसा में बदल गया था। शुरुआती तीन दिनों में ही 52 लोग मारे गए थे। हिंसा के दौरान महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार ने पूरे देश को झकझोर दिया था। अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
राष्ट्रपति शासन की अवधि चार से पांच महीने की हो सकती है और मुख्यमंत्री के लिए सर्वसम्मति बनने तक इसे बढ़ाया जा सकता है। बीजेपी विधायक पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन से पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है।