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महाकुंभ से उठी सनातन राष्ट्र की आवाज: ऋषि संविधान का हुआ अनावरण, वर्तमान संविधान को बदलने के संकेत

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान साधु-संतों और दंडी संन्यासियों ने भारत को वैदिक सनातनी हिंदू राष्ट्र घोषित करने के उद्देश्य से एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का आधार ऋषि संविधान है, जिसे 24 वर्षों के गहन मंथन और वैदिक-पुराणों के अध्ययन के बाद पहली बार आम जनता के सामने पेश किया गया।

ऋषि संविधान: सनातन धर्म के उत्थान की दिशा में बड़ा कदम

ऋषि संविधान का मुख्यालय उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित ऋषि दर्शन क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इसके अलावा चार अस्थायी मुख्यालय प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में होंगे, जहां महाकुंभ का आयोजन होता है। हर महाकुंभ में धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें ब्रह्मर्षि विश्वशांति का संदेश दिया जाएगा।

20 साल का लक्ष्य, 300 संतों की टोली तैयार

इस अभियान के तहत हर सनातनी व्यक्ति को एक गांव को सनातनी गांव बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। पहले चरण में 300 संतों की टोली 300 गांवों में तैनात की जाएगी। इसकी शुरुआत ओडिशा, पंजाब और पश्चिम बंगाल से होगी। 20 वर्षों के भीतर पूरे भारत को वैदिक सनातनी हिंदू राष्ट्र घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है।

महत्वपूर्ण बैठकों का इतिहास

ऋषि संविधान की पहली बैठक 2001 में प्रयागराज के कुंभ मेले में हुई थी। इसके बाद 2007, 2013 और 2019 में महाकुंभ के दौरान चार बैठकें आयोजित की गईं। इन बैठकों के निर्णयों के आधार पर 15 संतों की टीम ने इस संविधान को तैयार किया है। काशी सुमेरपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि 2001 से इस संविधान पर काम चल रहा था और अब इसे प्रस्तुत किया गया है।

17 क्रांतियां: सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार

ऋषि संविधान के तहत 17 अभियान चलाए जाएंगे, जिनमें विचारक्रांति, साधनाक्रांति, संपर्क क्रांति, सेवाक्रांति, धर्मजागरण, संस्कारक्रांति, गोक्रांति, युवाक्रांति, व्यवस्थाक्रांति, नारीजागरण, समता क्रांति, शिक्षाक्रांति, स्वास्थ्यक्रांति, व्यसनमुक्ति, स्वावलंबन, हरितक्रांति और सामाजिक समरसता को शामिल किया गया है।

धर्मांतरण रोकने की रणनीति

हर गांव में एक ऋषि की तैनाती की जाएगी, जो ग्राम देवता को आधार बनाकर ब्लॉक, तहसील और जनपद स्तर पर सनातनी विचारधारा को मजबूत करेंगे। धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए इसे आवश्यक बताया गया है।

संविधान में बदलाव के संकेत

महाकुंभ में साधु-संतों ने वर्तमान संविधान को बदलने के संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि सनातनी संविधान के अनुसार देश को चलाना समय की मांग है।

भविष्य की दिशा

यह अभियान पूरे देश के गांवों में चलेगा। साधु-संतों ने इसे सनातन धर्म के उत्थान की दिशा में सबसे बड़ा प्रयास बताया है। महाकुंभ से शुरू हुए इस अभियान का असर आने वाले वर्षों में दिखने की उम्मीद है।

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