महाराष्ट्र में सांप्रदायिक सौहार्द्र को झटका: मढी यात्रा में मुस्लिम व्यापारियों पर लगी पाबंदी

अहमदनगर: महाराष्ट्र, जिसे प्रेम और सौहार्द्र के लिए जाना जाता है, वहां हाल के दिनों में चौंकाने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। पूरे राज्य में ‘भटकों की पंढरी’ के रूप में पहचाने जाने वाले मढी के कानिफनाथ महाराज की यात्रा में इस साल मुस्लिम समाज के व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव ग्राम सभा में पारित किया गया है। यह यात्रा मार्च महीने में आयोजित होती है और इसका शताब्दियों पुराना इतिहास है। इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता रहा है, लेकिन इस फैसले से इस सद्भावना को ठेस पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
ग्राम सभा का विवादित फैसला
होली से लेकर गुड़ी पड़वा तक चलने वाली इस यात्रा को लेकर ग्राम सभा का आयोजन किया गया। सरपंच एवं देवस्थान समिति के अध्यक्ष संजय मरकड ने सभा में बताया कि कई गांवों से मुस्लिम व्यापारियों पर पाबंदी लगाने की मांग के पत्र प्राप्त हुए थे। इन पत्रों को ध्यान में रखते हुए यह मुद्दा ग्राम सभा में रखा गया और प्रस्ताव पारित किया गया।
धार्मिक परंपरा का हवाला
ग्राम सभा में यह तर्क दिया गया कि पारंपरिक रूप से देवता को एक महीने पहले तेल चढ़ाया जाता है और यह समय ग्रामवासियों के लिए ‘दुख का काल’ माना जाता है। इस दौरान ग्रामवासी तली-भुनी चीजें नहीं खाते, शादी-ब्याह, खेती-किसानी और यात्रा जैसी गतिविधियां रोक देते हैं। इतना ही नहीं, वे घर में पलंग और गद्दे तक का उपयोग नहीं करते और पूरी तरह से कानिफनाथ महाराज की सेवा में लीन रहते हैं।
हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचने का दावा
ग्राम सभा में यह भी कहा गया कि यात्रा में आने वाले व्यापारी परंपरा का पालन नहीं करते और इसके अलावा, जुआ और मटका जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों में भी लिप्त रहते हैं। इसी तर्क के आधार पर कुंभ मेले में कुछ स्थानों पर मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने की मिसाल दी गई और मढी यात्रा में भी ऐसा ही करने की मांग उठाई गई। ग्राम सभा के इस प्रस्ताव के बाद अब प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द्र को खतरा?
मढी यात्रा को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस फैसले से सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस विवादास्पद प्रस्ताव पर क्या कदम उठाता है।