“कोई भी मां अपने बच्चे को नहीं मार सकती” – बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई: अपने सात वर्षीय बेटे को पीटने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मां अपने बच्चे को मारने का इरादा नहीं रख सकती, खासकर जब वह उसकी देखभाल के लिए प्रयासरत हो।
जस्टिस मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद का सीधा असर बच्चे पर पड़ा है, जिससे वह इस स्थिति का शिकार बना।
मेडिकल रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बच्चा मिर्गी, कुपोषण और खून की कमी जैसी गंभीर समस्याओं से पीड़ित था। दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट हुआ कि मां ने अपने बेटे की देखभाल करने में काफी संघर्ष किया है।
महिला को अक्टूबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में थी। यह मामला उसके पति द्वारा मुंबई के दहिसर पुलिस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के बाद शुरू हुआ था। पति ने आरोप लगाया था कि उसकी अलग रह रही पत्नी और उसके साथी ने बच्चे का कई बार उत्पीड़न किया और उसे जान से मारने की कोशिश भी की।
कोर्ट ने आरोपों पर जताया संदेह
हालांकि, हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया सभी आरोप संदेहास्पद और विश्वास के लायक नहीं हैं। इसी आधार पर कोर्ट ने महिला को जमानत देते हुए कहा कि मां अपने बच्चे के प्रति स्वाभाविक रूप से स्नेहशील होती है और उसे नुकसान पहुंचाने की मंशा नहीं रख सकती।