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वक्फ संशोधन पर अखिलेश का बड़ा विरोध, इमरान मसूद ने अजमेर शरीफ उत्तराधिकारी को बताया ‘भाजपा का दलाल’

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर तीखा विरोध जताते हुए भाजपा पर हर चीज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। अखिलेश ने कहा, “हम वक्फ बोर्ड विधेयक के खिलाफ हैं, क्योंकि भाजपा हर चीज को नियंत्रित करना चाहती है।”

अजमेर दरगाह के समर्थन पर अखिलेश का निशाना

विधेयक के समर्थन में अजमेर दरगाह के रुख पर अखिलेश ने कहा कि इसके पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने आरोप लगाया कि “भाजपा किसी से भी कुछ भी कहला सकती है और करवा सकती है।”

एआईएसएससी अध्यक्ष का समर्थन

अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद (AISSC) के अध्यक्ष और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने वक्फ बोर्ड में सुधार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को भावनात्मक बयानों से प्रभावित नहीं होना चाहिए और सरकार के आधिकारिक रुख पर विश्वास करना चाहिए

उन्होंने कहा, “मौजूदा वक्फ अधिनियम में बदलाव की जरूरत है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली मस्जिदों और दरगाहों पर कोई कब्जा नहीं होगा, इसलिए डरने की जरूरत नहीं है।”

वक्फ विधेयक के समर्थन और विरोध में सियासी बयानबाजी

परिषद के अध्यक्ष चिश्ती ने कहा कि सरकार ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा है, जिसने सभी पक्षों को सुनने के बाद रिपोर्ट दी है। उन्होंने कहा कि जो भी बदलाव होंगे, वे समुदाय के हित में होंगे

इमरान मसूद का तीखा हमला

कांग्रेस सांसद और जेपीसी सदस्य इमरान मसूद ने सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती पर भाजपा के समर्थन का आरोप लगाते हुए कहा, “ये भाजपा की दलाली बंद करें।”

क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक?

विधेयक को “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास (UMEED) विधेयक” भी कहा जा रहा है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, पारदर्शिता और अवैध कब्जों को हटाने के लिए कानूनी तंत्र मजबूत करना है

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