“मंत्री जयकुमार गोरे के 300 नग्न फोटो पर बवाल, शिवसेना बोली – जनता के सामने लाओ सबूत”

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री एक ओर कानून-व्यवस्था की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर उनके ही मंत्री पत्रकारों पर झूठे मामले दर्ज करवा रहे हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि “क्या महाराष्ट्र में अब सच बोलना अपराध बन गया है?”
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री जयकुमार गोरे पर एक महिला ने अश्लील हरकतों और नग्न तस्वीरें भेजने का गंभीर आरोप लगाया था। महिला ने पुलिस और राज्यपाल कार्यालय में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी। बाद में, जब मामला अदालत में गया, तो गोरे ने अदालत में साष्टांग प्रणाम कर माफी मांगी, जिसके बाद महिला ने केस वापस ले लिया। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे निर्दोष साबित हो गए।
पत्रकार तुषार खरात ने इस पूरे मामले को उजागर किया और पीड़ित महिला का इंटरव्यू लेकर इसे सार्वजनिक किया। खरात की रिपोर्टिंग ने मंत्री जयकुमार गोरे के दावों को गलत साबित किया, जिसके बाद मंत्री ने उन पर बदले की भावना से झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तारी करवा दी।
शिवसेना ने साधा सरकार पर निशाना
शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखपत्र ‘सामना’ ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा,
“क्या महाराष्ट्र में अब सच्चाई लिखना और बोलना गुनाह हो गया है? क्या मुख्यमंत्री फडणवीस ने मंत्रियों को गुंडागर्दी करने की खुली छूट दे दी है?”
शिवसेना ने सरकार से सवाल किया कि “जिस महिला ने गोरे के खिलाफ शिकायत की, उसके खिलाफ मानहानि का केस क्यों नहीं किया गया? मंत्री ने महिला के आरोपों को झूठा साबित करने की कोशिश क्यों नहीं की? क्या इसलिए कि उनके 300 से अधिक अश्लील फोटो और चैट अदालत में सुरक्षित हैं?”
पत्रकार तुषार खरात पर झूठे मामले दर्ज
तुषार खरात, जो ‘लय भारी’ नामक यूट्यूब चैनल चलाते हैं, उन्होंने कई बार गोरे के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी। इससे भड़ककर मंत्री ने उन पर जबरन वसूली, शील भंग और अत्याचार जैसे संगीन आरोप लगाकर गिरफ्तारी करवा दी। शिवसेना ने इस कृत्य को “महाराष्ट्र में अघोषित आपातकाल” करार दिया है।
क्या महाराष्ट्र में स्वतंत्र पत्रकारिता खत्म हो रही है?
शिवसेना ने कहा,
“अगर सरकार के खिलाफ बोलने पर पत्रकारों को जेल में डाला जाएगा, तो यह राज्य शिवाजी का नहीं, बल्कि मोदी का महाराष्ट्र बन जाएगा। देशभर में आलोचना करने वालों पर इसी तरह से हमले हो रहे हैं।”
मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
‘सामना’ ने सरकार से मंत्री जयकुमार गोरे को तुरंत बर्खास्त करने और उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला दर्ज करने की मांग की है। साथ ही विपक्ष से इस मुद्दे पर विधानसभा में सरकार को घेरने का आह्वान किया है।
शिवसेना ने कहा कि “अगर महाराष्ट्र में लोकतंत्र की रक्षा करनी है, तो पत्रकार तुषार खरात की रिहाई और मंत्री जयकुमार गोरे की बर्खास्तगी के लिए लड़ना होगा।”
क्या बोले रोहित पवार?
राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने खुलकर पत्रकार तुषार खरात का समर्थन किया है और उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है। लेकिन शिवसेना ने सवाल उठाया कि “अन्य विपक्षी नेता चुप क्यों हैं?”
क्या महाराष्ट्र में सच्चाई बोलना गुनाह बन चुका है?
यह मामला महाराष्ट्र में पत्रकारिता की स्वतंत्रता, सत्ता के दुरुपयोग और लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को कितनी मजबूती से घेरता है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस पर क्या जवाब देते हैं।