राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, MNS की मान्यता रद्द करने की मांग

नई दिल्ली/मुंबई – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उत्तर भारतीय विकास सेना के अध्यक्ष सुनील शुक्ला ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज ठाकरे ने अपने भाषणों के माध्यम से उत्तर भारतीयों के खिलाफ नफरत फैलाई और राज्य में हिंसा को उकसाया।
एफआईआर दर्ज करने और MNS की मान्यता रद्द करने की मांग
याचिकाकर्ता सुनील शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह महाराष्ट्र पुलिस को राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे। इसके साथ ही चुनाव आयोग को MNS की मान्यता रद्द करने पर भी विचार करने को कहा जाए।
वकील श्रीराम परक्कट के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में शुक्ला ने दावा किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर को कई बार शिकायतें दीं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि चुनाव आयोग को भी ज्ञापन सौंपा गया, मगर वहां से भी जवाब नहीं मिला।
गुड़ी पड़वा पर भड़काऊ भाषण का आरोप
याचिका में कहा गया है कि गुड़ी पड़वा के दिन राज ठाकरे ने बेहद भड़काऊ भाषण दिया, जिसके बाद महाराष्ट्र के कई इलाकों में हिंदी भाषी लोगों को निशाना बनाया गया। डी मार्ट के कर्मचारी, बैंक कर्मचारी और एक वॉचमैन पर हमले की घटनाएं भी याचिका में दर्ज हैं।
भारतीय दंड संहिता की धाराएं और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन
शुक्ला ने याचिका में बताया कि राज ठाकरे और उनकी पार्टी की गतिविधियां IPC की धाराओं 153A (धर्म/भाषा के आधार पर शत्रुता), 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना), 504, 506, 120B और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आती हैं।
निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग
याचिका में यह भी कहा गया है कि जब तक जांच पूरी न हो, राज ठाकरे को सार्वजनिक मंच से नफरती बयानबाज़ी से रोका जाए। साथ ही, याचिकाकर्ता ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की भी मांग की है।