अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट: भारत में मुसलमानों पर भेदभाव और धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के आरोप
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने हाल ही में भारत को लेकर एक सनसनी खेज रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सरकार अल्पसंख्यक समुदायों खास कर मुसलमानों पर भेदभावपूर्ण कानून थोप रही है, जिससे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ दमनकारी नीतियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनकी धार्मिक और नागरिक स्वतंत्रता पर असर पड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC):
रिपोर्ट में विशेष रूप से CAA और NRC का जिक्र किया गया है। USCIRF का कहना है कि यह कानून भारत की मुस्लिम आबादी के लिए एक विशेष खतरा पैदा करता है। CAA के तहत धार्मिक आधार पर नागरिकता देने की प्रक्रिया को भेदभावपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया। NRC के माध्यम से भारतीय मुस्लिमों को गैर-नागरिक करार देकर उनके अधिकारों को खतरे में डालने की बात रिपोर्ट में कही गई है। - धर्मांतरण विरोधी कानून:
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के विभिन्न राज्यों में लागू किए गए धर्मांतरण विरोधी कानूनों का उपयोग धर्मांतरण के मामलों को रोकने के नाम पर अल्पसंख्यक समुदायों को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये कानून अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। - गोहत्या विरोधी कानून:
कई राज्यों में लागू गोहत्या विरोधी कानून का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। इसे अल्पसंख्यक विशेष रूप से मुस्लिम और दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ लक्षित माना गया है। USCIRF ने कहा कि इन कानूनों के जरिए अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रहार किया जा रहा है और इसके चलते अल्पसंख्यकों पर शारीरिक हिंसा, लिंचिंग जैसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। - राजनीतिक बयानबाजी और हिंसा:
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुछ राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने ऐसी बयानबाजी की है जिससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने का काम हुआ है। इसमें अपमानजनक और भ्रामक जानकारी का इस्तेमाल करके धार्मिक तनाव को बढ़ावा दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2024 के चुनावों से पहले और बाद के महीनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में तेजी आई है। - मनमानी गिरफ्तारियां और धार्मिक स्थलों का ध्वस्तीकरण:
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि भारत सरकार ने धार्मिक नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बिना उचित प्रक्रिया के हिरासत में लिया है। कुछ मामलों में इन्हें सालों तक हिरासत में रखा गया, और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की गई। धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं का भी हवाला दिया गया है, जिसे धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।
अमेरिकी सरकार के लिए सिफारिशें:
रिपोर्ट के अंत में, USCIRF ने अमेरिकी विदेश विभाग से सिफारिश की है कि भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ (Country of Particular Concern) के रूप में नामित किया जाए। यह नामांकन उन देशों को दिया जाता है जो धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर और लगातार उल्लंघन में लिप्त होते हैं। साथ ही, अमेरिकी सरकार से यह भी कहा गया है कि वह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन से निपटने के लिए नीतिगत कदम उठाए।
भारत की प्रतिक्रिया:
खबर लिखे जाने तक, भारतीय सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, इससे पहले भारत ऐसे आरोपों को खारिज करता रहा है और अपने संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का दावा करता है। भारत सरकार का यह भी कहना रहा है कि उसके कानून देश की सुरक्षा और सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए हैं, न कि किसी विशेष समुदाय को लक्षित करने के लिए।
इस रिपोर्ट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर भारत की छवि को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि इस पर भारत और अमेरिका के संबंधों में कोई असर पड़ता है या नहीं।