उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान: चुनाव बाद “विश्वासघातियों” को पार्टी में नहीं दी जाएगी जगह
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को उन नेताओं पर कड़ा प्रहार किया, जिन्होंने 2022 में पार्टी छोड़कर एकनाथ शिंदे गुट का दामन थामा था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि चुनाव के बाद इन “विश्वासघातियों” की उनकी पार्टी में कोई वापसी नहीं होगी। उद्धव ने कहा, “एक बार जब डेढ़ महीने बाद ये लोग बेरोजगार हो जाएंगे, तब भी उन्हें पार्टी में एंट्री नहीं दी जाएगी।”
शिवसेना के विभाजन पर उद्धव का तीखा प्रहार
उद्धव ठाकरे उन नेताओं को लगातार “विश्वासघाती” कहकर संबोधित कर रहे हैं, जिन्होंने 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद शिंदे गुट का समर्थन किया था। महाराष्ट्र में नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और ठाकरे ने दावा किया कि शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना सत्ता से बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता बीजेपी और शिंदे गुट को उनकी सही जगह दिखाएगी।
“नौकरी मांगने आएंगे पर नहीं मिलेगी जगह”
उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी द्वारा आयोजित एक रोजगार मेले के दौरान कहा, “ये विश्वासघाती चुनाव के बाद नौकरी मांगने आएंगे क्योंकि वे बेरोजगार हो जाएंगे, लेकिन मैं किसी भी विश्वासघाती को नौकरी नहीं देने वाला हूं।” यह बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाने वाला है, क्योंकि यह आगामी चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) की कड़ी रणनीति का संकेत देता है।
मोदी और बीजेपी पर हमला
उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी और शिंदे सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब भी पीएम मोदी किसी परियोजना की आधारशिला रखते हैं, वह कभी पूरी नहीं होती। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2022 में शिवसेना सरकार गिरने के बाद राज्य में कोई बड़ी परियोजना शुरू नहीं हुई है। उद्धव ने बीजेपी के हिंदुत्व की भी कड़ी आलोचना की, यह कहते हुए, “हमारा हिंदुत्व लोगों को राहत और सुरक्षा देता है, जबकि बीजेपी का हिंदुत्व लोगों के घर जलाता है।”
राजनीतिक संघर्ष तेज
महाराष्ट्र की सियासी सरगर्मियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। चुनाव आयोग ने राज्य में चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं, और सभी प्रमुख दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे गुट के बीच का राजनीतिक संघर्ष और भी तीखा हो सकता है।
उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने और गद्दारी करने वालों के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है। उनके इस बयान से साफ है कि वह अपने उन नेताओं को माफ करने के मूड में नहीं हैं, जिन्होंने कठिन समय में पार्टी का साथ छोड़ा था। आगामी चुनावों में यह मुद्दा शिवसेना (यूबीटी) के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।