महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी की AIMIM की नई रणनीति: सीमित सीटों पर चुनाव और गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों की एंट्री
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन (AIMIM) ने एक अनूठी और रणनीतिक निर्णय लिया है। इस बार पार्टी ने पिछले चुनावों के विपरीत केवल 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। 2019 में AIMIM ने 44 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल दो सीटें ही जीत सकी थी। इस बार पार्टी ने मुस्लिम वोटों को विभाजित न होने देने और अपने संसाधनों का सही उपयोग करने की योजना बनाई है।
1. कम सीटों पर ध्यान केंद्रित
AIMIM इस बार 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी का मानना है कि सीमित सीटों पर चुनाव लड़ने से उनका ध्यान बेहतर तरीके से केंद्रित रहेगा और संसाधनों का उचित प्रबंधन हो सकेगा।
2. गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट
इस बार AIMIM ने अपनी चुनावी रणनीति में नया कदम उठाते हुए तीन गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। इसमें नागपुर से कीर्ती दीपक डोंगरे, मुर्तिजापुर से सम्राट सुरवड़े, और मीरज से महेश कांबले शामिल हैं। यह कदम भाजपा के गढ़ों में चुनौती पेश करने की योजना के तहत उठाया गया है।
3. मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर विशेष फोकस
AIMIM ने मालेगांव, धुले और औरंगाबाद पूर्व जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपने प्रमुख उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें मालेगांव सेंट्रल से मुफ्ती इस्माइल कासमी, धुले से फारुक शाह अनवर और औरंगाबाद पूर्व से सैयद इम्तियाज जलील शामिल हैं। यह रणनीति मुस्लिम क्षेत्रों में अधिक वोट प्राप्त करने की योजना का हिस्सा है।
4. मुस्लिम-दलित वोटों का एकीकरण
ओवैसी की AIMIM मुस्लिम और दलित वोटों में विभाजन से बचना चाहती है। महाराष्ट्र में मुस्लिम और दलित समुदाय का खासा वोट बैंक है और इस बार पार्टी इन वोटों को एकजुट रखने की कोशिश कर रही है।
5. “B-Team” आरोपों का खंडन
AIMIM पर भाजपा की “B-Team” होने का आरोप लगता रहा है, जिसे ओवैसी ने खारिज करते हुए कहा कि AIMIM का उद्देश्य मुस्लिम नेतृत्व को सशक्त बनाना है। ओवैसी ने इसे धर्मनिरपेक्ष पार्टियों पर आरोपों के जरिए साफ किया कि वे भाजपा से गठबंधन करने के बाद तोड़ देती हैं, और इसे AIMIM के खिलाफ इस्तेमाल करती हैं।
6. अकबरुद्दीन ओवैसी की महत्वपूर्ण भूमिका
अकबरुद्दीन ओवैसी पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने औरंगाबाद में बड़ी रैलियां की हैं और पार्टी का चुनावी उत्साह बढ़ाया है। AIMIM के पोस्टरों में “हम आ रहे हैं महाराष्ट्र” जैसे नारे भी देखने को मिल रहे हैं।
7. AIMIM का नया लक्ष्य
ओवैसी की रणनीति AIMIM को महाराष्ट्र में एक प्रभावी खिलाड़ी बनाने की है। इस चुनाव में उनकी कोशिश है कि मुस्लिमों और दलितों के वोट एकजुट रहें। कम सीटों पर ध्यान और गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को शामिल करने का निर्णय पार्टी को एक नई दिशा देने का प्रयास है।
इस बार का AIMIM का चुनावी अभियान कम सीटों और एकता पर जोर देकर एक नया सन्देश देने की कोशिश है।