सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: अवैध निर्माणों पर बुलडोजर एक्शन के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों पर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिकारी न्यायाधीश की भूमिका नहीं निभा सकता और केवल आरोपी होने के आधार पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। इस फैसले में अदालत ने अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायोचित बनाने के लिए सख्त नियम बनाए हैं। कोर्ट के अनुसार, यदि किसी का घर अवैध घोषित करना आवश्यक है, तो पहले उससे जुड़े व्यक्ति को पर्याप्त समय और कानूनी अधिकार दिए जाने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की 5 मुख्य गाइडलाइंस
- घर गिराने से पहले 15 दिन का नोटिस अनिवार्य:
- किसी भी निर्माण को ध्वस्त करने से पहले संबंधित पक्ष को 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होगा।
- यह नोटिस रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजा जाएगा ताकि इसकी रिकॉर्डिंग हो सके और किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
- नोटिस में यह स्पष्ट करना होगा कि वह निर्माण अवैध क्यों है, और किस आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
- नोटिस को घर पर चिपकाना अनिवार्य:
- संबंधित भवन या संरचना के बाहर नोटिस चिपकाया जाएगा ताकि इसकी सूचना वहां के निवासियों और पड़ोसियों को भी मिल सके।
- इसके अतिरिक्त, इस नोटिस की जानकारी संबंधित जिलाधिकारी (डीएम) को भी दी जाएगी ताकि नोटिस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रहे।
- समय और अपील का अधिकार:
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, किसी भी ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद संबंधित व्यक्ति को अपने पक्ष में अपील करने का समय दिया जाना चाहिए।
- इसके साथ ही, घर खाली करने के लिए भी उचित समय दिया जाना चाहिए ताकि किसी को अचानक कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
- कोर्ट का यह निर्देश है कि बिना कारण बताओ नोटिस (शोकॉज नोटिस) के तोड़फोड़ नहीं की जा सकती।
- व्यक्तिगत सुनवाई का अधिकार:
- प्राधिकरण को संबंधित पक्ष की व्यक्तिगत सुनवाई करनी होगी और कार्यवाही का दस्तावेजीकरण करना होगा।
- नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, सुनवाई की तिथि, और जिस अधिकारी के समक्ष सुनवाई होगी, उसका नाम स्पष्ट रूप से देना होगा।
- इसके साथ ही, नोटिस में एक डिजिटल पोर्टल का लिंक देना होगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का पूरा विवरण उपलब्ध हो।
- विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी:
- ध्वस्तीकरण की पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी और इसे संरक्षित किया जाएगा।
- वीडियोग्राफी के बाद इस रिपोर्ट को नगर आयुक्त को भेजा जाएगा।
- अगर नोटिस के बाद संबंधित व्यक्ति को पर्याप्त समय दिया गया है और अपीलीय निकाय ने उस आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो ही विध्वंस की कार्यवाही की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के अन्य दिशा-निर्देश
- सभी आदेशों की डिजिटल रिकॉर्डिंग: आदेशों को डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा ताकि इसके आदेश और कार्यवाही की पारदर्शिता बनी रहे। इससे संबंधित व्यक्ति आसानी से सभी दस्तावेज देख सकेंगे और किसी भी प्रकार के दुरुपयोग का सामना नहीं करेंगे।
- मुआवजा और जवाबदेही: अगर अधिकारियों द्वारा इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो उन पर अवमानना और मुआवजे के साथ जवाबदेही का मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ, तो संबंधित अधिकारियों को ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर बहाल करना होगा।
- मुख्य सचिवों को आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आदेश दिया है कि वे इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखें।
इस फैसले के मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए और उसे अपनी संपत्ति पर कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए।
- यह आदेश केवल अवैध निर्माणों पर कार्रवाई को सही दिशा में ले जाने का प्रयास है और इसके तहत किसी भी प्रकार की मनमानी कार्रवाई की अनुमति नहीं दी गई है।
- सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि सिर्फ आरोपों के आधार पर किसी का घर गिराना असंवैधानिक है और किसी भी ध्वस्तीकरण के लिए सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल अवैध निर्माणों पर कार्रवाई को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि यह लोगों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। इन गाइडलाइंस के तहत, बुलडोजर एक्शन की प्रक्रिया में अब संबंधित व्यक्ति को उचित नोटिस, सुनवाई का अधिकार और समय दिया जाएगा।