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ब्रिटिश किंग चार्ल्स ने दो भारतीय मूल के नेताओं से छीना सम्मान, मोदी का समर्थन और बांग्लादेशी हिंदुओं का पक्ष बना कारण

ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय ने भारतीय मूल के दो प्रमुख नेताओं, रामी रेंजर और अनिल भनोट, से उनके सम्मानों को वापस ले लिया है। रामी रेंजर को कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (CBE) और अनिल भनोट को ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (OBE) से सम्मानित किया गया था।

सम्मान वापस लेने का कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रामी रेंजर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने और अनिल भनोट पर बांग्लादेशी हिंदुओं के पक्ष में आवाज उठाने का आरोप है। इन मामलों को ब्रिटेन की एक जब्ती समिति ने सम्मान प्रणाली को बदनाम करने वाला माना। समिति ने अपनी सिफारिशें ब्रिटिश प्रधानमंत्री के माध्यम से किंग चार्ल्स को भेजीं, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।

रामी रेंजर और अनिल भनोट का बयान

दोनों नेताओं ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है और इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया है।

  • अनिल भनोट का पक्ष:
    अनिल भनोट ने कहा: “2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों और मंदिरों की तबाही के समय मैंने आवाज उठाई। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। अब इंग्लैंड में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है। यह फैसला न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि मेरी दलीलों को नजरअंदाज किया गया है।”
  • रामी रेंजर का पक्ष:
    रामी रेंजर के प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला अन्यायपूर्ण है और वह इसे चुनौती देंगे। उन्होंने इसे भारतीय समुदाय और व्यापारिक सेवाओं में उनके योगदान की अनदेखी बताया।

सम्मान वापसी की प्रक्रिया

ब्रिटेन में सम्मान वापसी के लिए एक तय प्रक्रिया होती है। जब्ती समिति सम्मान धारकों के व्यवहार और उनके द्वारा सम्मान प्रणाली की बदनामी की जांच करती है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो समिति राजा को सम्मान वापसी की सिफारिश करती है।

समाज में बढ़ता असंतोष

इस फैसले को भारतीय समुदाय में नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है। रामी रेंजर और अनिल भनोट के समर्थकों का कहना है कि यह फैसला भारत और भारतीय समुदाय के प्रति पक्षपाती दृष्टिकोण को दर्शाता है।

क्या है अगला कदम?

दोनों नेता इस फैसले को चुनौती देने की बात कह चुके हैं। वहीं, यह मामला ब्रिटेन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सम्मान प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

ब्रिटिश भारतीय समुदाय इस मुद्दे को लेकर आगे कैसे प्रतिक्रिया देता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

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