‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर जैन धर्मगुरु ने जताई आपत्ति, दिया सकारात्मकता का संदेश
कवर्धा। जैन धर्मगुरु मुनिश्री सुधाकर ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे उग्रवाद और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे नारे समाज में नफरत और विभाजन की भावना फैलाते हैं। मुनिश्री ने सुझाव दिया कि नारे ऐसे होने चाहिए जो सकारात्मक प्रेरणा दें, लोगों को जोड़ने का काम करें और समाज में सौहार्द का संदेश फैलाएं।
मुनिश्री ने कहा, “हम जुड़कर रहेंगे, हम जोड़ते रहेंगे, हम साथ रहेंगे” जैसे नारे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। ऐसे नारों से प्रेम, सम्मान, और सबके विकास की भावना प्रबल होती है। यह न केवल संस्कार और संस्कृति को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है।
जैन धर्म का महत्व और संदेश
जबलपुर की ओर पद यात्रा कर रहे मुनिश्री सुधाकर ने कवर्धा में जैन समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए जैन धर्म के आदर्शों पर चर्चा की। उन्होंने नमामि, खममि और विक्षामि के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि ये शब्द क्षमा, विनम्रता, और सभी के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाते हैं।
मुनिश्री ने जैन धर्म के झंडे में मौजूद पांच रंगों का भी महत्व बताया। उन्होंने कहा कि ये रंग अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधु के गुणों का प्रतीक हैं, और इनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
जैन मुनियों की पद यात्रा का उद्देश्य
अपने संबोधन में मुनिश्री सुधाकर ने जैन मुनियों द्वारा पद यात्रा करने के पीछे का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा समाज में अहिंसा, सहिष्णुता, और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाने के लिए होती है।
मुनिश्री सुधाकर और मुनिश्री नरेश कुमार के कवर्धा आगमन पर जैन समाज के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।