महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज: फडणवीस सरकार पर संकट के बादल
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों सियासी सरगर्मी चरम पर है। चुनाव नतीजों के बाद से ही महायुति के अंदर खींचतान और टकराव का दौर जारी है। शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार की गतिविधियां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए चुनौती बनती जा रही हैं।
शिवसेना-एनसीपी: बगावती तेवर बढ़ा रहे मुश्किलें
शिवसेना के सीएम एकनाथ शिंदे पहले ही देवेंद्र फडणवीस को अल्टीमेटम दे चुके हैं। विभागों के बंटवारे और कैबिनेट विस्तार को लेकर शिंदे खेमे की नाराजगी खुलकर सामने आ चुकी है। वहीं, एनसीपी के अजित पवार ने अपने बगावती तेवर दिखाते हुए शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ गुपचुप मुलाकातें की हैं।
सूत्रों के अनुसार, अजित पवार का यह कदम एक बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। दिल्ली में प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे के साथ हुई शरद पवार की बैठक ने इस अटकल को और हवा दी है।
महायुति पर मंडरा रहा संकट
अजित पवार और शरद पवार के बीच बढ़ती नजदीकियां महायुति सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। अगर एनसीपी और शिवसेना के अंदरूनी मतभेदों ने नया मोड़ लिया, तो महाराष्ट्र की सत्ता समीकरण बदल सकता है।
फडणवीस सरकार कितने दिन टिकेगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे, तो देवेंद्र फडणवीस की सरकार ज्यादा दिनों तक टिक पाना मुश्किल हो सकता है। शिवसेना और एनसीपी के असंतोष ने महायुति को कमजोर कर दिया है।
क्या चाचा-भतीजे फिर से एक हो सकते हैं?
शरद पवार और अजित पवार के बीच लगातार हो रही मुलाकातों ने इस संभावना को मजबूत किया है कि एनसीपी के दोनों खेमे फिर से एक हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह फडणवीस सरकार के लिए बड़ा झटका होगा।
सियासी समीकरणों में बदलाव की उम्मीद
महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं। शिवसेना और एनसीपी के बागी तेवर महायुति सरकार को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि फडणवीस इस सियासी संकट को कैसे संभालते हैं।
महाराष्ट्र में राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो सकता है। लेकिन फिलहाल, सियासी पारा चरम पर है।