राजस्थान में उर्दू शिक्षण बंद, संस्कृत को बढ़ावा देने का फैसला

जयपुर: राजस्थान सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में उर्दू विषय की पढ़ाई बंद करने का फैसला किया है। स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर जयपुर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने 10 फरवरी 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें सभी स्कूलों से संस्कृत को तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाने के प्रस्ताव मांगे गए हैं।
जयपुर डीईओ की ओर से महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय के प्रिंसिपल को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पंचायती राज विभाग से सीनियर संस्कृत शिक्षक की वैकेंसी निकालने और उर्दू शिक्षण बंद करने का निर्देश मिला है। स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि एसडीएमसी रिकमेंडेशन के साथ संस्कृत भाषा पढ़ाने का प्रस्ताव जल्द से जल्द बीकानेर निदेशालय भेजा जाए।
यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू किए गए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने चार सदस्यीय मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसमें उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा अध्यक्ष हैं। समिति में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा शामिल हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा सरकार नहीं चाहती कि गरीब और पिछड़े तबके के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा हासिल करें। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर ताला लगाने की वकालत कर रहे हैं, जबकि उनके अपने बच्चे महंगे स्कूलों और विदेशों में पढ़ते हैं।
डोटासरा ने समिति के गठन को भी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया, क्योंकि इसमें न तो कोई शिक्षाविद है और न ही कोई विशेषज्ञ। उन्होंने कांग्रेस सरकार के दौरान हर वर्ग के बच्चों के लिए खोले गए महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को शिक्षा का क्रांतिकारी कदम बताया।
सरकारी स्कूलों में इस फैसले को लेकर शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के बीच चर्चा तेज हो गई है। अब सभी की निगाहें सरकार की समीक्षा समिति की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं।