डोनाल्ड ट्रंप ने EVM पर उठाए सवाल, भारतीय राजनीति में बढ़ी हलचल

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और पेपर बैलेट को लेकर दिए गए बयान ने भारत में राजनीतिक बहस छेड़ दी है। हाल ही में अमेरिका में गवर्नरों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि पेपर बैलेट ही चुनावी प्रक्रिया का सबसे सुरक्षित तरीका है। उन्होंने इस संदर्भ में मशहूर टेक उद्यमी एलन मस्क और MIT के एक प्रोफेसर का हवाला देते हुए कहा कि ईवीएम पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
ट्रंप के बयान पर सोशल मीडिया पर बवाल
भारत में ट्रंप के इस बयान का 44 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे लेकर कई लोग ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। खासकर कांग्रेस और विपक्षी दलों से जुड़े नेता इस वीडियो को शेयर कर बीजेपी और चुनावी प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने ट्वीट कर कहा,
“क्या प्रधानमंत्री मोदी अपने सबसे अच्छे दोस्त डोनाल्ड ट्रंप की बात सुनेंगे? क्या वह हमारी चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करेंगे?”
उन्होंने महाराष्ट्र में मतदाताओं की असामान्य वृद्धि और विपक्षी वोटों के कथित डिलीट होने पर भी सवाल उठाए।
बीजेपी की प्रतिक्रिया नहीं आई सामने
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप के इस बयान पर अभी तक बीजेपी से जुड़ी सोशल मीडिया टीम या नेताओं की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारत में ईवीएम पर यह बहस फिर से तेज हो सकती है।
क्या कहा था ट्रंप ने?
अपने एक घंटे 13 मिनट के संबोधन में ट्रंप ने 51वें मिनट पर कहा कि चुनावों के लिए पेपर बैलेट ही सही तरीका है, क्योंकि
- यह चीटिंग और हेरफेर से बचाव करता है।
- यह जल्दी और सुरक्षित होता है।
- इसमें वॉटरमार्क जैसी सुरक्षा सुविधाएं होती हैं।
- ईवीएम की तुलना में पारदर्शिता अधिक होती है।
क्या भारत में ईवीएम पर फिर से बहस होगी?
भारत में वर्षों से ईवीएम और पेपर बैलेट को लेकर बहस होती रही है। विपक्ष कई बार ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाता रहा है, हालांकि चुनाव आयोग और सरकार ने बार-बार इन आरोपों को खारिज किया है। अब देखना होगा कि ट्रंप के बयान से भारत की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में ईवीएम का उपयोग 2004 से किया जा रहा है और अब तक किसी भी तकनीकी खराबी का कोई बड़ा प्रमाण नहीं मिला है। हालांकि, ट्रंप के बयान के बाद यह मुद्दा फिर से उछल सकता है और 2024 के चुनावों से पहले यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।