केंद्र के फैसले के खिलाफ कुकी समुदाय का बवाल, मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कई घायल, एक प्रदर्शनकारी की मौत

मणिपुर में केंद्र सरकार के ‘फ्री मूवमेंट’ फैसले के लागू होते ही हिंसा भड़क उठी। शनिवार (8 मार्च) को कांगपोकपी जिले में कुकी समुदाय के लोगों ने सरकार के इस कदम के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन किया, जिससे हालात बेकाबू हो गए। इस हिंसा में 27 सुरक्षाकर्मी घायल हुए, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। वहीं, प्रदर्शन में शामिल 40 लोगों को भी चोटें आई हैं, जिनमें से 10 की हालत नाजुक है। इस दौरान एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई।
कैसे भड़की हिंसा?
शनिवार से केंद्र सरकार ने मणिपुर में ‘फ्री मूवमेंट’ नीति को लागू किया, जिसके तहत लोग बिना किसी रोक-टोक के एक-दूसरे के जिलों में आ-जा सकते हैं। लेकिन इस फैसले के विरोध में कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (दीमापुर-इम्फाल) पर बसों की आवाजाही रोकने लगे।
कांगपोकपी जिले में जब प्रशासन ने एक बस को इंफाल से सेनापति जिले की ओर भेजने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया। जवाब में सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और बल प्रयोग किया। इसके बाद हालात और बिगड़ गए। हिंसा के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी भी की, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की।
एक की मौत, कई घायल
इस झड़प में 30 वर्षीय लालगौथांग सिंगसिट नामक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ ने गामगीफाई से कीथेलमनबी तक राजमार्ग को जाम कर दिया था। हिंसक भीड़ ने निजी वाहनों में आग लगा दी और सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया।
सरकार की सख्ती, कुकी संगठनों का बंद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही सुरक्षाबलों को आदेश दिया था कि 8 मार्च से सभी सड़कों पर ‘फ्री मूवमेंट’ सुनिश्चित किया जाए। लेकिन इस फैसले का कुकी समुदाय ने विरोध किया था।
हिंसा के बाद कुकी-जो काउंसिल (KJC) ने सभी पहाड़ी जिलों में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया है। संगठन का कहना है कि जब तक उनकी आठ सूत्रीय मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक वे मैतेई लोगों की आवाजाही को रोकते रहेंगे।
मणिपुर में जारी है जातीय संघर्ष
मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक करीब 250 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों विस्थापित हो चुके हैं। यह संघर्ष मैतेई और कुकी समुदाय के बीच है। मैतेई समुदाय मुख्य रूप से इम्फाल घाटी के मैदानी इलाकों में रहता है, जबकि कुकी समुदाय पहाड़ी इलाकों में निवास करता है।
फिलहाल, सरकार स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन कुकी संगठनों के विरोध को देखते हुए आने वाले दिनों में हालात और तनावपूर्ण हो सकते हैं।
(Khasdar Times – विशेष रिपोर्ट)