नागपुर हिंसा: VHP और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग, सांसद पप्पू यादव ने बताया ‘गुंडा संगठन’

नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क गई। दो गुटों के बीच झड़पें हुईं, जिसके बाद शहर के 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया। इस मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ गई है।
पप्पू यादव ने की वीएचपी और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग
लोकसभा सांसद पप्पू यादव ने हिंसा के लिए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद को जिम्मेदार ठहराया और इन्हें ‘गुंडों का संगठन’ करार देते हुए इन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा,
“ये संगठन सरकार द्वारा संरक्षित हैं और देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इनकी वजह से देश की आर्थिक प्रगति भी प्रभावित हो रही है। अब इस पर सोचने की जरूरत है।”
हिंसा और पुलिस पर हमले के बाद सख्त कार्रवाई
17 मार्च को भड़की हिंसा के बाद नागपुर के 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), शस्त्र अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है।
- गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में 51 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें कई नाबालिग भी हैं।
- आरोपी जाफर नगर, ताजबाग, मोमिनपुरा और भालादापुरा इलाकों के रहने वाले हैं।
पुलिस पर हमले का आरोप, पत्थरबाजी और पेट्रोल बम फेंके गए
एफआईआर के मुताबिक, हिंसा के दौरान भीड़ ने पुलिस पर कुल्हाड़ी, लोहे की छड़ें और पेट्रोल बम से हमला किया। पुलिस की चेतावनी के बावजूद उपद्रवी हिंसक कार्रवाई करते रहे, जिससे पुलिस कर्मियों और नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई।
गृह राज्य मंत्री योगेश कदम का बयान: होगी सख्त कार्रवाई
महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि डीसीपी स्तर के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने चेतावनी दी, “कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत कार्रवाई होगी। पुलिस को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सड़कें बंद करने का अधिकार दिया गया है।”
नागपुर हिंसा ने बढ़ाई राजनीतिक सरगर्मी
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। एक ओर पप्पू यादव बजरंग दल और वीएचपी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार सख्त कार्रवाई का भरोसा दिला रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या नागपुर हिंसा को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा, या फिर यह मामला भी राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रह जाएगा?