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छत्रपति शिवाजी को लेकर नितेश राणे के बयान पर विवाद, रईस शेख ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ दिया करारा जवाब

रत्नागिरी में एक सभा के दौरान भाजपा नेता नितेश राणे ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि “छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी भी मुस्लिम सरदारों को नहीं रखा और उनका युद्ध मुसलमानों के खिलाफ था।” उनके इस बयान पर अब बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ इसका करारा जवाब दिया और शिवाजी महाराज के मुस्लिम सरदारों की सूची नितेश राणे के सामने रख दी।

रईस शेख ने सौंपा ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रमाण

रईस शेख ने नितेश राणे को एक पत्र लिखकर उनके दावे को गलत ठहराया और छत्रपति शिवाजी महाराज के 10 मुस्लिम सरदारों के नाम प्रस्तुत किए। इस सूची में शामिल प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  1. सिद्दी हिलाल – पन्हाला किले की घेराबंदी में सहयोग दिया
  2. सिद्दी वाहवाह – सिद्दी हिलाल के बेटे, जो शिवाजी की सेना में थे
  3. नूरखान बेग – घुड़सवार सेना के प्रमुख
  4. सरदार शमाखान – महत्वपूर्ण सैन्य अधिकारी
  5. इब्राहिम खान – नौसेना के प्रमुख
  6. सिद्दी इब्राहिम – शिवाजी महाराज के अंगरक्षक
  7. दौलतखान – नौसेना अधिकारी
  8. मदारी मेहतर – वफादार सेवक
  9. काजी हैदर – शिवाजी महाराज के वकील
  10. बाबा याकूत – मुस्लिम संत, जिनका शिवाजी सम्मान करते थे

शिवाजी महाराज का धर्म युद्ध नहीं था

रईस शेख ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि शिवाजी महाराज का युद्ध किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह अन्याय और अत्याचार के खिलाफ था। उन्होंने बताया कि जिस तरह शिवाजी महाराज ने संत तुकाराम और संत रामदास का सम्मान किया, उसी तरह वे रत्नागिरी के मुस्लिम संत बाबा याकूत का भी सम्मान करते थे।

इतना ही नहीं, उन्होंने प्रमाणों के आधार पर यह भी कहा कि शिवाजी महाराज ने कई पीर, दरगाह और मस्जिदों को इनाम देने की परंपरा जारी रखी थी।

राजनीतिक गलियारों में मचा हड़कंप

नितेश राणे के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जहां एक ओर भाजपा नेता उनके बयान का बचाव कर रहे हैं, वहीं विपक्षी दल और इतिहासकार इसे शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की साजिश करार दे रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या नितेश राणे अपने बयान पर कायम रहेंगे या फिर ऐतिहासिक तथ्यों के सामने अपने बयान को वापस लेंगे? इस विवाद के बढ़ने के आसार हैं, और राजनीतिक माहौल गरमाने की संभावना है।

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