नागपुर हिंसा: हाई कोर्ट ने आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई रोक, प्रशासन को फटकार

नागपुर हिंसा मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने प्रशासन द्वारा आरोपियों की संपत्ति पर की जा रही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने फहीम खान और यूसुफ शेख सहित अन्य आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासन के मनमाने रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई।
कोर्ट ने प्रशासन के रवैये पर जताई नाराजगी
हाई कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि जिन लोगों की संपत्तियां तोड़ी गईं, उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि प्रॉपर्टी मालिकों की सुनवाई किए बिना ही विध्वंस की कार्रवाई शुरू कर दी गई, जो न्यायसंगत नहीं है। खास बात यह है कि कोर्ट का स्टे ऑर्डर आने से पहले ही फहीम खान के मकान को सोमवार दोपहर में ढहा दिया गया था, जबकि यह संपत्ति उसकी पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
सरकार और नगर निगम से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार और नागपुर नगर निगम से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्देश दिया है कि वे इस कार्रवाई पर जवाब दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 अप्रैल को होगी।
नागपुर हिंसा और कार्रवाई
नागपुर में भड़की हिंसा के बाद पुलिस ने 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें 21 नाबालिग भी शामिल हैं। प्रशासन का दावा है कि इस हिंसा का मास्टरमाइंड फहीम खान है। इसके चलते पुलिस और नगर निगम की टीम ने उसकी संपत्ति को अवैध बताते हुए नोटिस जारी किया था और फिर बुलडोजर चला दिया।
फहीम खान को जारी किया गया था नोटिस
21 मार्च को फहीम खान को नोटिस दिया गया था, जिसमें उसे 24 घंटे के अंदर अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया था। फहीम खान नागपुर के मोमिनपुरा में एक दुकान चलाता है, जबकि उसका घर 86 वर्ग मीटर में बना हुआ था, जिसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया।
औरंगजेब की कब्र के विरोध के बाद भड़की थी हिंसा
हिंसा नागपुर में औरंगजेब की कब्र के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की थी। इस दौरान एक अफवाह फैलने से माहौल बिगड़ गया और भीड़ सड़कों पर उतर आई। गुस्साए लोगों ने सड़क पर तोड़फोड़ शुरू कर दी, कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और घरों व दुकानों में आग लगा दी। इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
अब प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई कर रहा है? हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इरफान अंसारी के हत्यारों की संपत्तियों पर भी इसी तरह की बुलडोजर कार्रवाई करेगा या फिर यह केवल एक समुदाय विशेष तक ही सीमित रहेगा। प्रशासन की अगली कार्रवाई पर अब सबकी नजरें टिकी हैं।
अगली सुनवाई 15 अप्रैल को
हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में सरकार और नगर निगम को 15 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। तब तक के लिए सभी तरह की विध्वंस कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।