लाडली बहन योजना से बढ़ा बोझ, सरकार की तिजोरी खाली! अब खर्चों में कटौती का फैसला

महाराष्ट्र सरकार की लाडली बहन योजना और चुनावी वादों के चलते सरकारी खजाने पर भारी दबाव पड़ गया है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने सभी सरकारी विभागों को मितव्ययिता (बचत) के कड़े निर्देश जारी किए हैं। अब सभी विभागों को अपने खर्चों में कटौती करनी होगी और मुफ्त योजनाओं को बंद करने या समेकित करने की योजना बनाई जा रही है।
मंत्रिमंडल के लिए कड़े नियम लागू
शुक्रवार को जारी सरकारी परिपत्र में यह निर्देश दिया गया कि कैबिनेट में कोई भी नया प्रस्ताव बिना वित्तीय प्रभाव का आकलन किए प्रस्तुत नहीं किया जाएगा। हर विभाग को यह बताना होगा कि उसे मिले बजट में कितनी बार बढ़ोतरी की आवश्यकता होगी।
लाडली बहन योजना बनी सरकार के लिए सिरदर्द
बीजेपी को 2024 के विधानसभा चुनावों में जीत दिलाने वाली “मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण” (लाडली बहन) योजना अब सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है। सरकार इसे जारी रखना चाहती है, लेकिन आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा है।
राजकोषीय घाटा 1.36 लाख करोड़ के पार
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें 45,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की बात सामने आई। इस साल सरकार के पास कुल 7.2 लाख करोड़ रुपये का बजट है, लेकिन खर्चों के मुकाबले आमदनी कम हो रही है।
58% राजस्व खर्च में जा रहा अनिवार्य व्यय में
सरकारी खर्चों पर नियंत्रण के लिए यह फैसला लिया गया है कि विभागों को अपने बजट का 58% अनिवार्य खर्चों पर खर्च करना होगा, और बाकी खर्चों में कटौती करनी होगी।
मुफ्त योजनाओं को किया जाएगा बंद!
परिपत्र में निर्देश दिया गया है कि मुफ्त योजनाओं को समेकित या बंद करने की योजना तैयार की जाए। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि कैबिनेट में बिना वित्त विभाग की मंजूरी के कोई नई योजना प्रस्तुत न की जाए।
अब क्या होगा?
राज्य सरकार को अब कठिन फैसले लेने होंगे। या तो वह लाडली बहन योजना जैसी लोकप्रिय योजनाओं में कटौती करेगी, या फिर कर वसूली और राजस्व बढ़ाने के नए उपाय खोजने होंगे।
देखना दिलचस्प होगा कि सरकार जनता को नाराज किए बिना इस वित्तीय संकट से कैसे बाहर निकलती है!