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वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा में पेश होने को तैयार, कई अहम बदलाव शामिल

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों और सहयोगी दलों जेडीयू और टीडीपी के सुझावों के आधार पर इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह विधेयक 2 अप्रैल यानी आज दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा।

सरकार के इस फैसले को मुस्लिम समाज से जुड़े प्रबंधन और वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, कुछ संशोधन ऐसे हैं जिन पर विवाद खड़ा हो सकता है।

विधेयक में किए गए मुख्य संशोधन

1. वक्फ संपत्तियों पर राज्य सरकार की भूमिका बरकरार

सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में राज्य सरकार की भूमिका बनाए रखने का फैसला किया है। राज्य सरकारें अब भी वक्फ संपत्तियों की देखरेख करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि कोई गड़बड़ी न हो।

2. वक्फ संपत्ति की पहचान के लिए वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति

  • पहले वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और निगरानी का जिम्मा जिला कलेक्टर के पास था।
  • अब यह जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी जाएगी।
  • यह संशोधन इसलिए किया गया है ताकि राज्य सरकार स्वतंत्र रूप से इस मुद्दे पर निर्णय ले सके और संपत्तियों की निगरानी अधिक प्रभावी ढंग से हो सके।

3. पुरानी धार्मिक संपत्तियों पर नया कानून लागू नहीं होगा

  • मौजूदा पुरानी मस्जिदों, दरगाहों या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थलों से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
  • जेडीयू द्वारा दिए गए इस सुझाव को स्वीकार कर लिया गया है, जिससे पुराने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

4. वक्फ संपत्तियों की डिजिटल रिकॉर्डिंग अनिवार्य

  • औकाफ की सूची को गजट में प्रकाशित होने के 90 दिनों के भीतर एक आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट करना अनिवार्य होगा।
  • इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और वक्फ संपत्तियों की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगी।

5. वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा

  • वक्फ परिषद में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य (हिंदू या अन्य धर्मों के) भी होंगे।
  • इनके अलावा, राज्य सरकार का एक अधिकारी भी परिषद में शामिल किया जाएगा।
  • यह बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने और सभी समुदायों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने के लिए किया गया है।

6. वक्फ बोर्ड में संयुक्त सचिव की नियुक्ति

  • वक्फ मामलों से संबंधित संयुक्त सचिव को बोर्ड का पदेन (ex-officio) सदस्य बनाया जाएगा।
  • इससे प्रशासनिक निर्णयों में पारदर्शिता बढ़ेगी और बोर्ड की कार्यक्षमता में सुधार होगा।

7. वक्फ ट्रिब्यूनल में अब तीन सदस्य होंगे

  • पहले वक्फ ट्रिब्यूनल में केवल दो सदस्य होते थे।
  • अब इसमें एक इस्लामिक स्कॉलर को तीसरे सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
  • यह फैसला धार्मिक मामलों पर सही परामर्श देने के उद्देश्य से लिया गया है।

विवादास्पद प्रावधान जो बहस का कारण बन सकते हैं

1. वक्फ संपत्ति दान के लिए इस्लाम धर्म का पालन साबित करना होगा

  • बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या द्वारा प्रस्तावित धारा 14 को विधेयक में शामिल कर लिया गया है।
  • इसके तहत, कोई भी व्यक्ति तभी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकेगा, जब वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
  • संपत्ति को वक्फ करने में किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो, इसका प्रमाण देना अनिवार्य होगा।

2. वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ेगी

  • धारा 11 के तहत संशोधन किया गया है, जिसके अनुसार अब वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं।
  • इसके अलावा, राज्य सरकार का एक वरिष्ठ अधिकारी भी बोर्ड का हिस्सा होगा।
  • इस प्रावधान को लेकर मुस्लिम संगठनों द्वारा विरोध किया जा सकता है, क्योंकि वे इसे धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिम हस्तक्षेप के रूप में देख सकते हैं।

लोकसभा में बिल पेश होने से पहले की तैयारियां

वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करने के लिए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में मंजूरी मिल गई है।

  • सत्ताधारी एनडीए सरकार ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, जिससे वे सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें और बिल का समर्थन करें।
  • संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है।
  • यदि चर्चा के दौरान विपक्ष को अधिक समय चाहिए तो इसे सदन की सहमति से बढ़ाया जा सकता है।

सरकार और विपक्ष की संभावित रणनीति

  • बीजेपी और एनडीए सहयोगी दल बिल को बिना किसी बाधा के पास करवाने की कोशिश करेंगे।
  • कांग्रेस, एआईएमआईएम और अन्य विपक्षी दल कुछ संशोधनों पर आपत्ति जता सकते हैं, खासकर गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और इस्लाम पालन की शर्त को लेकर।
  • विपक्ष यदि सदन में विरोध करता है या वॉकआउट करता है, तो सरकार इसे पारित कराने के लिए अपने बहुमत का इस्तेमाल करेगी।

क्या होगा आगे?

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में जाएगा।

  • यदि राज्यसभा में भी इसे मंजूरी मिलती है, तो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
  • यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद गहराने की संभावना है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस बिल को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है और क्या यह संशोधन सर्वसम्मति से पारित हो पाते हैं या नहीं।

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