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अंधा कानून: ज़िंदा पत्नी के ‘क़त्ल’ के आरोप में आदिवासी मजदूर ने जेल में काटे दो साल

कोडगु (कर्नाटक): कर्नाटक के कोडगु जिले में इंसाफ और पुलिसिया जांच पर गंभीर सवाल खड़ा करने वाला मामला सामने आया है। आदिवासी मजदूर सुरेश को अपनी पत्नी मल्लिगे की हत्या के आरोप में दो साल जेल में गुजारने पड़े — जबकि उसकी पत्नी मल्लिगे ज़िंदा मिली है और अपने प्रेमी के साथ आराम से जीवन जी रही थी।
पूरा मामला:
- नवंबर 2020: सुरेश ने पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट कुशलनगर ग्रामीण थाने में दर्ज करवाई।
- जून 2021: पुलिस को अज्ञात महिला का कंकाल मिला और उसे मल्लिगे का मान लिया गया।
- झूठी पहचान: पुलिस ने सुरेश और उसकी सास से जबरन कंकाल की पहचान मल्लिगे के रूप में करवाई।
- झूठा केस: सुरेश पर हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
पुलिस की लापरवाही उजागर:
- DNA रिपोर्ट (2023): साबित किया कि मिला कंकाल मल्लिगे का नहीं था।
- बीएस पांडु पुजारी नामक वकील ने केस को मुफ्त में लड़ा और सच सामने लाया।
- मल्लिगे मिली जिंदा (1 अप्रैल 2025): होटल में प्रेमी के साथ कॉफी पीती मिलीं। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई।
- कोर्ट में कबूलनामा: मल्लिगे ने माना कि वो 2020 से अपने प्रेमी संग रह रही थीं और उन्हें नहीं पता था कि उनके पति हत्या के आरोप में जेल में हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल:
जिस महिला का कंकाल बरामद हुआ था, वो कौन थी?
वकील पुजारी का आरोप है कि पुलिस ने न सिर्फ एक निर्दोष को झूठे केस में फंसाया, बल्कि असली पीड़िता की पहचान भी नहीं की।
कोर्ट का आदेश:
मैसूर की 5वीं जिला एवं सत्र न्यायालय ने कोडगु पुलिस अधीक्षक और जांच अधिकारी से 17 अप्रैल तक जवाब माँगा है।
इस केस ने देश की न्याय व्यवस्था और पुलिस जांच प्रक्रिया पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।