मौलाना महमूद मदनी के ओवैसी पर बयान से उपजा विवाद: दारुल उलूम और मुस्लिम नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया
Muslim Political News
मौलाना महमूद मदनी, जो जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं, हाल ही में दिए गए एक बयान के कारण विवादों में आ गए हैं। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी, जो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख हैं, के बारे में नकारात्मक टिप्पणी की थी। इस बयान ने मुस्लिम समुदाय के भीतर नाराजगी पैदा कर दी है, विशेषकर दारुल उलूम और अन्य प्रमुख इस्लामी नेताओं के बीच।
मौलाना महमूद मदनी ने अपने साक्षात्कार में कहा था कि देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स (NRC) लागू होना चाहिए, और उन्होंने इसका समर्थन किया। इसके अलावा, उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के बयानों को गलत ठहराते हुए, उनके कार्यक्रमों में जुटने वाली भीड़ को “पागल” कहा। मदनी का यह बयान मुस्लिम समुदाय के एक बड़े हिस्से में नकारात्मक रूप से लिया गया और उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया।
दारुल उलूम और अन्य मुस्लिम नेताओं की प्रतिक्रिया
दारुल उलूम, जो मुस्लिमों के सबसे बड़े इस्लामी तालीम के केंद्रों में से एक है, ने इस बयान से खुद को अलग कर लिया। संस्था के मोहतमिम, मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि चाहे यह बयान नया हो या पुराना, वह मदनी के विचारों से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि असदुद्दीन ओवैसी ने हजरत मोहम्मद साहब और वक्फ संशोधन बिल जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि मदनी का विरोध प्रकट करने का तरीका सही नहीं था और इस तरह की बयानबाजी उचित नहीं है।
मजलिस-ए-शूरा के सदस्य और मालेगांव से विधायक मौलाना इस्माईल ने भी मदनी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि जो कुछ उन्होंने ओवैसी के बारे में कहा, वह ठीक नहीं है। इसी तरह, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने भी मदनी के बयान को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए ओवैसी को दोषी ठहराना केवल एक अनभिज्ञ व्यक्ति ही कर सकता है।
पंजाब के शाही इमाम मौलाना उस्मान लुधियानवी ने भी मदनी के बयान पर नाइत्तेफाकी जताई और कहा कि असदुद्दीन ओवैसी एक महत्वपूर्ण नेता हैं जो मुस्लिम मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं, और उनके खिलाफ इस तरह की टिप्पणी अनुचित है।
मदनी पर चौतरफा दबाव
मौलाना महमूद मदनी पर विभिन्न मुस्लिम धार्मिक नेताओं और संगठनों की आलोचनाओं के बाद काफी दबाव बढ़ गया है। सोशल मीडिया पर भी मदनी की टिप्पणियों को लेकर व्यापक बहस चल रही है, जहां कई लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। इस विवाद के बीच, दारुल उलूम जैसे प्रतिष्ठित संगठन ने भी उनके बयान से दूरी बना ली है, जिससे यह विवाद और गहरा गया है।
असदुद्दीन ओवैसी, जो अपने बेबाक और धारदार बयानों के लिए जाने जाते हैं, को मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग का समर्थन प्राप्त है। उनकी सियासी शैली और भाजपा के खिलाफ उनका आक्रामक रुख, खासतौर पर वक्फ संशोधन बिल और अन्य मुस्लिम मुद्दों पर, कई मुस्लिम नेताओं द्वारा सराहा गया है। यही कारण है कि मौलाना महमूद मदनी के बयान पर इतनी कड़ी प्रतिक्रिया आई है।
कुल मिलाकर, यह विवाद इस समय मुस्लिम सियासी और धार्मिक परिदृश्य में गहरी बहस और असहमति को जन्म दे चुका है, जहां मौलाना महमूद मदनी को उनके बयान के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।