राजन तेली ने BJP से दिया इस्तीफा, जल्द हो सकते हैं उद्धव ठाकरे की शिवसेना में शामिल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और सावंतवाड़ी विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी राजन तेली ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे की वजह पार्टी में हो रही उपेक्षा और नारायण राणे तथा उनके परिवार के बीजेपी में आने से उपजी परेशानियों को बताया है।
नारायण राणे के BJP में आने से हुई परेशानी
राजन तेली ने कहा कि उन्होंने पिछले 10 सालों से बीजेपी के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन जब से पूर्व केंद्रीय मंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से सांसद नारायण राणे और उनके परिवार ने बीजेपी जॉइन की, तब से पार्टी में उनके लिए मुश्किलें बढ़ गईं। तेली का मानना है कि नारायण राणे के परिवार को प्राथमिकता देने के कारण उन्हें संगठन में वह स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वह हकदार थे।
परिवारवाद के खिलाफ नाराजगी
तेली ने खुलकर परिवारवाद का विरोध करते हुए कहा कि वह इस बात के सख्त खिलाफ हैं कि एक ही परिवार के दो सदस्यों को लोकसभा और विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए। उन्होंने निलेश राणे, जो नारायण राणे के बेटे हैं, के शिवसेना के संभावित उम्मीदवार बनने की चर्चाओं पर असंतोष व्यक्त किया। निलेश राणे के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने की अटकलों ने तेली की नाराजगी को और बढ़ा दिया है।
पहले भी शिवसेना में थे राजन तेली
राजन तेली पहले भी शिवसेना का हिस्सा रह चुके हैं, जब पार्टी अविभाजित थी। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह फिर से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UTB) में शामिल हो सकते हैं। इस कदम से सावंतवाड़ी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है।
राणे परिवार का वर्चस्व
सिंधुदुर्ग जिले की राजनीति में नारायण राणे और उनके परिवार का गहरा प्रभाव है। उनके छोटे बेटे नितेश राणे सिंधुदुर्ग के कंकावली से विधायक हैं और माना जा रहा है कि उन्हें फिर से वहां से टिकट मिल सकता है। दूसरी ओर, निलेश राणे को भी शिवसेना की किसी सीट से चुनाव लड़ाने की संभावना है।
कोंकण में राजनीतिक महत्व
महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 75 सीटें कोंकण क्षेत्र में आती हैं, जिनमें मुंबई की 36 सीटें भी शामिल हैं। इसलिए इस क्षेत्र के राजनीतिक घटनाक्रम का विधानसभा चुनाव पर गहरा प्रभाव हो सकता है।