महाराष्ट्र चुनाव: महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे पर अंतिम दौर की चर्चा, उद्धव ठाकरे का दावा—जल्द होगा फैसला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेजी से बढ़ गई हैं। सभी प्रमुख दल और गठबंधन चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बीच, महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) ने सीट बंटवारे को लेकर अपनी चर्चाएं अंतिम चरण में पहुंचा दी हैं। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल ही में बड़ा दावा करते हुए कहा कि महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे पर फैसला जल्द ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है।
महाविकास अघाड़ी में सौदेबाजी नहीं टूटेगी: उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि महाविकास अघाड़ी के तीनों प्रमुख घटक दल—कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), और एनसीपी (शरद पवार गुट)—के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जारी बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के भीतर सौदेबाजी की प्रक्रिया को टूटने नहीं दिया जाएगा। उद्धव ठाकरे के अनुसार, महाराष्ट्र की जनता मौजूदा सरकार से निराश है और इस बार सत्ता का बदलाव निश्चित है। उन्होंने दावा किया कि राज्य की जनता इस बार सत्ता की चाबी विपक्ष के हाथ में सौंपने के लिए तैयार है।
विदर्भ और मराठवाड़ा पर फोकस: 25 सीटों पर खींचतान
महाविकास अघाड़ी में सबसे ज्यादा खींचतान विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों की 25 सीटों पर हो रही है। इन क्षेत्रों में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच सीधा संघर्ष है, और दोनों दल यहां से अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। विदर्भ और मराठवाड़ा लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहे हैं, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी इन इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए, शिवसेना (उद्धव गुट) के वरिष्ठ नेता संजय राउत जल्द ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि यह बैठक सीट बंटवारे की जटिलताओं को हल करने और एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से की जाएगी।
महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को कम से कम 145 सीटें जीतनी होती हैं। फिलहाल, सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के पास कुल 202 सीटें हैं, जिनमें से 102 सीटें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास हैं। इसके अलावा, 40 सीटें एनसीपी (अजित पवार गुट) के पास, 38 सीटें शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के पास और 22 सीटें छोटे दलों के पास हैं।
वहीं, विपक्षी महाविकास अघाड़ी के पास कुल 75 सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस के पास 37 सीटें, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के पास 16-16 सीटें हैं। इसके अलावा, 6 सीटें अन्य छोटे दलों के पास हैं। वर्तमान में विधानसभा की 15 सीटें रिक्त हैं, जिन पर जल्द ही उपचुनाव हो सकते हैं।
सत्ता में वापसी की उम्मीद
उद्धव ठाकरे ने अपने दावे में कहा कि महाराष्ट्र की जनता मौजूदा सरकार से निराश है और महाविकास अघाड़ी के पास सत्ता में वापसी का सुनहरा मौका है। उनकी मान्यता है कि जनता इस बार महायुति गठबंधन को सत्ता से हटाकर विपक्ष को मौका देने वाली है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों के बीच किसी तरह की खटास नहीं है और गठबंधन में सीट बंटवारे पर जल्द ही सहमति बन जाएगी।
विदर्भ और मराठवाड़ा के महत्व
महाराष्ट्र के चुनावी समीकरण में विदर्भ और मराठवाड़ा का खास महत्व है। ये दोनों क्षेत्र राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के लिए यह इलाका खासा मायने रखता है, और यहां जीत हासिल करने के लिए दोनों दल पूरी ताकत लगा रहे हैं।
चुनावी गणित: कौन कितनी सीटें जीत सकता है?
महाराष्ट्र विधानसभा के 288 सीटों के चुनाव में विदर्भ, मराठवाड़ा और कोंकण क्षेत्रों का खास महत्व है। कुल 75 सीटें कोंकण क्षेत्र में हैं, जिसमें मुंबई की 36 सीटें भी शामिल हैं। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) का इन क्षेत्रों में प्रभाव ज्यादा है, जबकि कांग्रेस और एनसीपी विदर्भ और मराठवाड़ा में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। महाविकास अघाड़ी इस बार इन क्षेत्रों में अपना प्रदर्शन सुधारने की योजना बना रहा है, जबकि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन सत्ता बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महाविकास अघाड़ी की बातचीत अंतिम चरण में है। उद्धव ठाकरे ने विश्वास जताया है कि जल्द ही गठबंधन सीट बंटवारे पर सहमत हो जाएगा। विदर्भ और मराठवाड़ा की सीटों पर चल रही खींचतान को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार कौन सी पार्टी या गठबंधन राज्य की जनता का विश्वास जीतने में सफल होता है।