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दिल्ली चुनाव में मुस्लिम वोटरों की कशमकश – क्या बीजेपी को मिलेगा फायदा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है, लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर सियासी उलझन अब भी बरकरार है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और AIMIM के बीच खिंची चुनावी रस्साकशी ने मुस्लिम मतदाताओं को दुविधा में डाल दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस कन्फ्यूजन का फायदा बीजेपी को मिल सकता है?

मुस्लिम वोटों का बंटवारा – बीजेपी की उम्मीदें बढ़ीं

दिल्ली में करीब 13% मुस्लिम मतदाता हैं, जिनमें से 12 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव निर्णायक माना जाता है। 2020 में आम आदमी पार्टी को भारी समर्थन देने वाला यह समुदाय अब कांग्रेस, AIMIM और AAP के बीच बंटता नजर आ रहा है। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने ओखला और मुस्तफाबाद में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी अपने-अपने मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। ऐसे में मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है।

दिल्ली दंगों और तबलीगी जमात मामले से बदले समीकरण

2020 के दिल्ली दंगों और कोरोना काल में तबलीगी जमात प्रकरण के बाद आम आदमी पार्टी को मुस्लिमों के गुस्से का सामना करना पड़ा। इसी मुद्दे को कांग्रेस और ओवैसी ने चुनाव प्रचार के दौरान उछाला, जिससे मुस्लिम बहुल इलाकों में आम आदमी पार्टी को चुनौती मिल रही है।

मुस्लिम मतदाताओं में बढ़ी कशमकश

सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला जैसी सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच खिंचतान के बीच AIMIM ने भी मुस्लिमों में अपनी जगह बनाई है। ऐसे में कई मुस्लिम मतदाता असमंजस में हैं कि किसे वोट दिया जाए।

ओखला के एक मतदाता शरीफ नवाज ने कहा, “दिल कांग्रेस के लिए कहता है, दिमाग आम आदमी पार्टी के लिए, और सहानुभूति AIMIM के साथ है। लेकिन डर ये है कि कहीं वोट बंटने से बीजेपी न जीत जाए।”

बीजेपी की रणनीति – ध्रुवीकरण से जीत की आस

बीजेपी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा, बल्कि धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति अपनाई है। पार्टी का फोकस हिंदू वोटों को एकजुट करने पर है। मुस्लिम वोटों के बंटवारे से हिंदू मतदाताओं को लामबंद करने की बीजेपी की रणनीति सफल होती दिख रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मुस्लिम वोट कांग्रेस, AAP और AIMIM के बीच बंटता है, तो बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल सकता है। यही रणनीति उत्तर प्रदेश के चुनावों में बीजेपी के लिए कारगर साबित हुई थी।

क्या मुस्लिम वोटों का बंटवारा बीजेपी के लिए संजीवनी साबित होगा?

मटिया महल और बल्लीमारान जैसी सीटों पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जबरदस्त टक्कर है। अगर ये वोट बिखरते हैं, तो बीजेपी के लिए राह आसान हो सकती है। हालांकि, सीलमपुर सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं।

दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर चल रही इस सियासी कशमकश ने चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। अब देखना होगा कि क्या यह असमंजस बीजेपी के पक्ष में जाता है, या फिर मुस्लिम मतदाता किसी एक पार्टी के पक्ष में एकजुट होकर वोटिंग करते हैं।

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