वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम, लेकिन तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में गैर-हिंदू नहीं? ओवैसी का चंद्रबाबू नायडू पर वार

हैदराबाद/आंध्र प्रदेश: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा मंदिर के 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस निर्णय को गलत संदेश देने वाला करार देते हुए एन. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।
ओवैसी ने जताई नाराजगी, टीडीपी पर साधा निशाना
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि जब टीटीडी ने अपने कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए हटाया क्योंकि वे गैर-हिंदू हैं, तो टीडीपी किस आधार पर वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन कर रही है, जिसमें मुस्लिम वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। उन्होंने कहा, “यह बहुत गलत संदेश जा रहा है और चंद्रबाबू नायडू को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।”
मंदिर प्रशासन ने दी सफाई, धार्मिक नियमों के उल्लंघन का आरोप
टीटीडी प्रशासन ने कहा कि हटाए गए 18 कर्मचारियों ने मंदिर के नियमों का उल्लंघन किया और गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं का पालन किया। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, इन कर्मचारियों ने धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया और अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुरूप आचरण किया, जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़ी।
सरकारी विभागों में स्थानांतरण या वीआरएस का विकल्प
टीटीडी ने यह भी स्पष्ट किया कि इन कर्मचारियों को पूरी तरह से नौकरी से नहीं निकाला गया है, बल्कि उन्हें सरकारी विभागों में स्थानांतरित किया जाएगा या फिर वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के तहत सेवा से मुक्त हो सकते हैं। इसके अलावा, इन कर्मचारियों को मंदिर के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने से भी रोक दिया गया है।
राजनीतिक बहस तेज, फैसले पर हो सकती है पुनर्विचार
टीटीडी के इस फैसले के बाद राजनीतिक और धार्मिक स्तर पर बहस तेज हो गई है। एक तरफ मंदिर प्रशासन इसे धार्मिक अनुशासन का मामला बता रहा है, तो दूसरी ओर ओवैसी जैसे नेता इसे भेदभावपूर्ण नीति करार दे रहे हैं। अब यह देखना होगा कि टीडीपी और अन्य दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या टीटीडी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करता है या नहीं।