अबू आज़मी निलंबित: क्या महाराष्ट्र में दोहरे मापदंड वाले कानून लागू हैं?

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबू आसिम आजमी के औरंगजेब पर दिए बयान के बाद बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इस फैसले से महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
अबू आजमी ने अपने निलंबन को अन्यायपूर्ण करार देते हुए राज्य सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा मेरा निलंबन सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि जिन लाखों लोगों का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, उनके साथ नाइंसाफी है। यह मेरे साथ ज्यादती है। क्या राज्य में दो तरह के कानून चलते हैं? मेरे लिए अलग और प्रशांत कोरटकर व राहुल शोलापुरकर के लिए अलग?”
विपक्ष का हमला, सरकार का रुख सख्त
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने विधानसभा में अबू आजमी के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे स्वीकृति मिल गई। वहीं, बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने आजमी की विधायकी खत्म करने की मांग तक उठा दी। उन्होंने कहा,
“छत्रपति शिवाजी महाराज पूजनीय हैं और उनका अपमान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सिर्फ एक सत्र के लिए सस्पेंड करना पर्याप्त नहीं है।”
हालांकि, चंद्रकांत पाटिल ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि किसी विधायक को एक सत्र से अधिक समय तक निलंबित नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक समिति गठित कर आकलन किया जाएगा कि क्या आजमी की विधानसभा सदस्यता रद्द की जा सकती है या नहीं।
अबू आजमी का स्पष्टीकरण
अबू आजमी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं था। उन्होंने कहा,
“मैं शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के खिलाफ बोलने की कल्पना भी नहीं कर सकता। मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। औरंगजेब के बारे में मैंने वही कहा जो इतिहासकारों और लेखकों ने लिखा है। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुईं तो मैं बिना शर्त माफी मांगता हूं और अपना बयान वापस लेता हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि इन दिनों फिल्मों और अन्य माध्यमों से मुगल शासकों की विकृत छवि गढ़ी जा रही है, जबकि इतिहासकारों की नजर में उनकी भूमिका अलग रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र 26 मार्च तक जारी रहेगा
अबू आजमी के निलंबन के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) जहां सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं विपक्ष इस निलंबन को राजनीति से प्रेरित बता रहा है। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार की गठित समिति इस मामले में क्या फैसला लेती है।
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