चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए निर्वाचन आयोग की नई पहल, वोटर आईडी-आधार लिंकिंग पर काम शुरू

नई दिल्ली: आने वाले महीनों में वोटर आईडी (EPIC) को आधार कार्ड से जोड़ने का अभियान तेज किया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने इसकी प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के तहत आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
इस सिलसिले में यूआईडीएआई (UIDAI) और ईसीआई (ECI) के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच परामर्श जल्द शुरू होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में बुधवार को निर्वाचन आयोग मुख्यालय में केंद्रीय गृह सचिव, विधि मंत्रालय के सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।
मतदाता सूची में गड़बड़ियों को रोकने की कोशिश
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का उद्देश्य मतदाता सूची में डुप्लिकेट या फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन की समस्या को खत्म करना है। इसके तहत:
- एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित की जाएगी।
- मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाया जाएगा।
राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल
यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (UBT), एनसीपी (SCP) और बीजेडी जैसे दलों ने एक ही EPIC नंबर वाले मतदाताओं का मुद्दा उठाया। निर्वाचन आयोग ने स्वीकार किया कि कुछ राज्यों में तकनीकी गड़बड़ी के कारण एक ही नंबर गलती से दोबारा जारी कर दिए गए थे, लेकिन इसे फर्जीवाड़ा नहीं माना जा सकता।
अब इस मुद्दे को स्थायी समाधान देने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों के साथ परामर्श तेज किया जाएगा। आयोग ने जोर देकर कहा कि यह कदम देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मताधिकार केवल भारत के नागरिकों को दिया जा सकता है। वहीं, आधार कार्ड केवल व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए, वोटर आईडी और आधार को जोड़ने की प्रक्रिया संविधान के दायरे में रहकर पूरी की जाएगी।
आगामी महीनों में इस अभियान को लेकर और अधिक घोषणाएं होने की संभावना है।