इफ्तार विवाद: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने चिराग पासवान के न्योते को किया अस्वीकार, पासवान ने जताई नाराजगी

पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने से इनकार करते हुए, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) ने स्पष्ट किया कि वह स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष नेताओं के आयोजनों से दूरी बनाए रखेगी। संगठन के प्रमुख अरशद मदनी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि उनकी संस्था नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं के आयोजनों में भाग नहीं लेगी।
चिराग पासवान ने किया फैसले का विरोध
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए चिराग पासवान ने कहा कि वह अरशद मदनी का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या विपक्षी दल, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद), मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा करने में सफल रहा है?
पासवान ने अपने दिवंगत पिता और राजनीतिक गुरु रामविलास पासवान का जिक्र करते हुए कहा, “उन्होंने एक बार अपना पूरा राजनीतिक जीवन दांव पर लगा दिया था, ताकि बिहार का मुख्यमंत्री एक मुसलमान बन सके।”
अरशद मदनी ने लगाए आरोप
अरशद मदनी ने इन नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साध रखी है। साथ ही, उन्होंने वक्फ विधेयक पर इन नेताओं के अस्पष्ट रुख को भी कटघरे में खड़ा किया।
नीतीश कुमार पर उठाए सवाल
चिराग पासवान ने अपनी ही गठबंधन सरकार के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी परोक्ष हमला बोला। उन्होंने बिहार में बढ़ते अपराध और दलितों, विशेषकर पासवान समुदाय के खिलाफ लक्षित हमलों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घटनाएं राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री पर हो रहे व्यक्तिगत हमलों की निंदा की और कहा कि उनके ‘मानसिक स्वास्थ्य’ और शासन क्षमता पर सवाल उठाना अनुचित है।
‘सीमित हस्तक्षेप, लेकिन मुख्यमंत्री से संपर्क में हूं’
पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी की विधानसभा में उपस्थिति नहीं होने के कारण सरकार में सीधा दखल देना संभव नहीं है। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह लगातार मुख्यमंत्री से संपर्क में हैं और इस मुद्दे को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस विवाद से साफ है कि बिहार की राजनीति में इफ्तार भी साम्प्रदायिक और राजनीतिक समीकरणों का हिस्सा बन गया है। चिराग पासवान और अरशद मदनी के इस टकराव से चुनावी माहौल में नया मोड़ आ सकता है।