लोकसभा में अमित शाह की दो टूक – वक्फ में गैर-मुस्लिमों की कोई भूमिका नहीं

नई दिल्ली – लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ में कोई भी गैर-इस्लामिक सदस्य नहीं होगा। उन्होंने विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों और फैलाई जा रही भ्रांतियों को खारिज करते हुए कहा कि न मुतवल्ली गैर-मुस्लिम होगा और न ही कोई अन्य।
वक्फ का अर्थ और उद्देश्य
अमित शाह ने वक्फ की परिभाषा स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अरबी शब्द है, जिसका इतिहास इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि वक्फ एक प्रकार का चैरिटेबल एंडोरमेंट (धार्मिक दान) है, जिसमें व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान करता है। इस दान में केवल निजी संपत्ति शामिल हो सकती है, सरकारी या किसी अन्य की संपत्ति नहीं।
बिल से वक्फ संपत्तियों की होगी सुरक्षा
अमित शाह ने कहा कि यह बिल वक्फ की संपत्तियों के उचित रख-रखाव और सही इस्तेमाल के लिए लाया गया है, न कि इन संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लाखों एकड़ वक्फ संपत्ति के बदले महज 126 करोड़ रुपये की आय हो रही है, जबकि कई संपत्तियां मामूली रकम में लीज पर देकर निजी लाभ के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। शाह ने भरोसा दिलाया कि चार साल में इस विधेयक का लाभ साफ नजर आएगा।
मुस्लिम समाज को डराने की राजनीति
गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोग मुस्लिम समुदाय को यह कहकर डरा रहे हैं कि यह कानून पिछली तारीख से लागू होगा, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि इसे केवल कानून बनने के बाद राजपत्र में अधिसूचित किए जाने के दिन से ही लागू किया जाएगा।
“वोट बैंक की राजनीति नहीं, जनहित में आया बिल”
अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस विधेयक को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताकर सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा कि 1995 में वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड अस्तित्व में आए थे, और यह संशोधन 2013 के प्रावधानों के कारण आवश्यक हुआ। इस नए कानून में अपील का प्रावधान रखा गया है ताकि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग हो सके।
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार केवल वोट बैंक के लिए नहीं बल्कि समग्र विकास और पारदर्शिता के लिए काम कर रही है।