देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान: उद्धव ठाकरे के साथ किसी भी राजनीतिक समझौते की संभावना खारिज, महायुति सरकार पूरे पांच साल चलेगी

मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि भविष्य में उद्धव ठाकरे के साथ किसी भी प्रकार के सियासी गठबंधन की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार पूरी मजबूती से अपना कार्यकाल पूरा करेगी और इसमें किसी प्रकार का फेरबदल नहीं होगा।
फडणवीस ने कहा, “हमने उद्धव ठाकरे को कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति को 232 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जब बहुमत पहले से है तो किसी के लिए सीट कहां से लाएं?” उन्होंने अपने पुराने बयान को मजाक बताते हुए इन अटकलों पर विराम लगाया कि शिवसेना (उद्धव गुट) से फिर कोई समीकरण बन सकता है।
अजीत पवार के साथ 80 घंटे की सरकार पर खुलासा
फडणवीस ने 2019 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद अजीत पवार के साथ बनी 80 घंटे की सरकार का जिक्र करते हुए बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि यह प्रयोग शरद पवार की सहमति और रणनीति के तहत किया गया था। पवार ने पहले राष्ट्रपति शासन की बात कही और फिर भाजपा से समर्थन का संकेत दिया था। लेकिन अचानक वे पीछे हट गए, जबकि अजीत पवार ने समझौते के तहत भाजपा का साथ देने का निर्णय लिया।
“मैं समुंदर हूं…” बयान पर फिर दोहराया आत्मविश्वास
फडणवीस ने अपने चर्चित बयान “मेरा पानी उतरता देखकर मेरे किनारे घर मत बना लेना, मैं समुंदर हूं” को याद करते हुए कहा कि जब वे विपक्ष में थे, तब उनका मजाक उड़ाया जाता था, लेकिन उन्होंने फिर से सत्ता में वापसी कर दिखाई।
महाविकास आघाड़ी के पतन का कारण
फडणवीस ने कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार में अंतर्कलह, मुस्लिम तुष्टीकरण और कांग्रेस-राकां के दबदबे ने शिवसेना विधायकों को नाराज कर दिया था। उद्धव ठाकरे का अपने ही विधायकों से संवाद टूट गया था और उन्हें मुख्यमंत्री निवास “वर्षा” से लौटा दिया जाता था।
एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की बगावत पर बोले
फडणवीस ने बताया कि एकनाथ शिंदे का लगातार अपमान हो रहा था। उनके विभाग की बैठकें आदित्य ठाकरे लेते थे और विधान परिषद चुनाव के समय उन्हें बाहर कर दिया गया था। यही वजह थी कि शिंदे ने शिवसेना से अलग होने का निर्णय लिया। उन्होंने महाराष्ट्र की सीमा पार करते ही फडणवीस को फोन कर कहा, “अब बहुत हो गया”, जिस पर फडणवीस ने उन्हें पूरा समर्थन देने की बात कही।
अजीत पवार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि शरद पवार सुप्रिया सुले को उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, जिससे अजीत खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे और बाहर आने का फैसला लिया।
कानून में कोई सौदेबाज़ी नहीं: फडणवीस
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा ने अजीत पवार या किसी अन्य नेता के खिलाफ मामलों को बंद कराने या उन्हें राहत देने का कोई वादा नहीं किया है। “मोदी सरकार में कानून अपना काम करता है, और ऐसी किसी भी सौदेबाज़ी की कोई जगह नहीं है,” फडणवीस ने कहा।
इस बयान के साथ फडणवीस ने साफ कर दिया है कि महायुति सरकार पूरे पांच साल चलेगी और भाजपा किसी भी सियासी समझौते या “समझौता राजनीति” के मूड में नहीं है।
