Breaking NewsDelhiPolitics

कांग्रेस का चुनाव आयोग पर हमला, केसी वेणुगोपाल बोले– पारदर्शिता से भाग रहा आयोग

नई दिल्ली : मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोटों की कथित हेराफेरी को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आयोग पर पारदर्शिता से भागने और भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया।

वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि यदि चुनाव आयोग सचमुच मतदाता सूची की जांच का स्वागत करता है, तो मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे राजनीतिक दलों को मशीन-पठनीय मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने से क्यों इनकार कर रहे हैं।

उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “चुनाव आयोग पर वोट चोरी और बड़े पैमाने पर धांधली के गंभीर आरोप लगे हैं। इसके बावजूद आयोग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। संवैधानिक अधिकारियों से ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा की जाती है, न कि अस्पष्ट प्रेस नोटों के पीछे छिपने की।”

आयोग का पलटवार

इससे पहले चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजनीतिक दलों ने समय रहते मतदाता सूची की जांच नहीं की और त्रुटियों की जानकारी चुनाव मशीनरी को नहीं दी। आयोग ने कहा कि वह दस्तावेज़ों की जांच का स्वागत करता है और अपने अधिकारियों को खामियां दूर करने के लिए निर्देशित करेगा।

कांग्रेस का दो टूक जवाब

वेणुगोपाल ने आयोग के इस तर्क को नकारते हुए कहा कि वोट चोरी पकड़ने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों या उनके बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) पर नहीं डाली जा सकती। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आयोग पारदर्शिता के पक्ष में है, तो –

  • पार्टियों को मशीन-पठनीय मतदाता सूची क्यों नहीं दी जा रही?
  • पहले से अपलोड किए गए एसआईआर मसौदे के डिजिटल वर्जन क्यों हटाए गए?
  • सीसीटीवी फुटेज को महज 45 दिनों में क्यों नष्ट कर दिया जाता है?
  • सुप्रीम कोर्ट में यह क्यों कहा गया कि बिहार एसआईआर प्रक्रिया में 65 लाख नाम हटाने का कारण बताने की बाध्यता आयोग पर नहीं है?

भाजपा पर पक्षपात का आरोप

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आयोग अपनी जवाबदेही से बचने के लिए प्रेस नोट जारी कर रहा है और यह स्पष्ट है कि भाजपा के दबाव में वोटों की हेराफेरी छिपाई जा रही है।

👉 यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब बिहार और कर्नाटक दोनों जगह मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ चुके हैं। विपक्ष का दावा है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो लाखों नागरिक अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button