भाजपा के 5 नेताओं के पास 40 और दोनों राष्ट्रवादी के 7 नेताओं के पास 56 नए मद्य परवाने; अंजली दमानिया का सवाल – यह सरकार की आय के लिए है या नेताओं को मालामाल करने के लिए?

राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए महायुति सरकार ने नए वाइन शॉप लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया है। उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री अजित पवार ने इस संदर्भ में नई नीति लागू की है। लेकिन इस नीति में केवल चुनिंदा नेताओं को फायदा होने की बात सामने आ रही है। भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार गट) के केवल 12 नेताओं से जुड़ी कंपनियों को 96 नए वाइन शॉप लाइसेंस मिलने जा रहे हैं। इसमें से भाजपा के 5 नेताओं को ही 40 लाइसेंस मिलने वाले हैं।
यानी एक ही प्याला नहीं, बल्कि तीन दल एक साथ “प्याला” साझा कर रहे हैं। दरअसल, ये 96 लाइसेंस सीधे उन्हीं नेताओं की कंपनियों के नाम पर दिए जाएंगे। इसी को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने सरकार पर तीखा प्रहार किया है।
दमानिया का हमला
अंजली दमानिया ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया — “96 शराब लाइसेंस नेताओं की कंपनियों को? ये लाइसेंस राजस्व बढ़ाने के लिए दिए जा रहे हैं या नेताओं को गडगंज करने के लिए? अजित पवार को इस समिति का अध्यक्ष रखना पूरी तरह अनुचित है।”
1974 से नए लाइसेंस पर रोक
जानकारी के अनुसार, राज्य में 1974 से नए शराब दुकानों के लाइसेंस जारी नहीं किए गए थे, जिसके चलते कुछ ही लोगों की इस धंधे पर मक्तेदारी थी। अब सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए 328 नए लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया है। लेकिन इसमें से सबसे अधिक लाइसेंस केवल 12 नेताओं से जुड़ी कंपनियों को मिलने वाले हैं।
108 तालुकों में एक भी दुकान नहीं
वहीं दूसरी तरफ, राज्य के 108 तालुकों में शराब बिक्री की एक भी दुकान नहीं है। अब सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए इन जगहों पर नए दुकान खोलने की योजना बना रही है। दरअसल, लाडकी बहिण योजना की वजह से सरकार पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। हर महीने निधि की व्यवस्था करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है। इसलिए राज्य सरकार अब राजस्व बढ़ाने के लिए नए-नए रास्ते तलाश रही है।
