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औरंगाबाद में खाम नदी फिर बनी गटर! छावनी से ड्रेनेज का पानी सीधे नदी में, इको गार्डन में दुर्गंध से हाहाकार

औरंगाबाद: शहर की ऐतिहासिक खाम नदी को महापालिका ने अपनी प्रबल इच्छाशक्ति और प्रयासों से दुर्गंधमुक्त कर पुनर्जीवित किया था। इस कार्य पर करीब 15 करोड़ रुपये का खर्च हुआ। लेकिन पिछले कुछ दिनों से छावनी क्षेत्र से बड़े पैमाने पर ड्रेनेज मिश्रित पानी नदी में आने लगा है, जिसके कारण नदी किनारे बने इको गार्डन में भारी दुर्गंध फैल गई है।

महापालिका प्रशासन, छावनी परिषद, व्हेरॉक कंपनी और इकोसत्व संस्थेच्या एकत्रित प्रयत्नातून 4 वर्ष के श्रमदान के बाद दुर्गंधयुक्त नाले को फिर से ऐतिहासिक खाम नदी में परिवर्तित किया गया। महापालिका प्रशासक जी. श्रीकांत ने इस काम पर विशेष ध्यान दिया था। उनके मार्गदर्शन में हर्सल से बनेवाड़ी तक लगभग 11.30 किलोमीटर क्षेत्र में नदी के दोनों किनारों पर दगड़ी कठडे बनाए गए। 1 लाख पेड़ लगाए गए, 16 तालाब और 4 स्थानों पर उद्यान तैयार किए गए। साथ ही शहर के नालों से नदी में आने वाले गंदे पानी को प्रक्रिया करके छोड़ा गया, जिससे नदी दुर्गंधमुक्त हो सकी। इस परियोजना में व्हेरॉक कंपनी ने CSR फंड दिया और महापालिका ने भी करोड़ों रुपये खर्च किए।

अब महापालिका जहां नदी को स्वच्छ और दुर्गंधमुक्त बनाए रखने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर छावनी क्षेत्र से ड्रेनेज का पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। इसके चलते छावनी परिषद कार्यालय से लेकर गुरुवार बाजार तक का परिसर दुर्गंध से प्रभावित हो गया है। जानकारी के अनुसार छावनी का ड्रेनेज फट गया है और उसका गंदा पानी चेट नदी के पात्र में भी जा रहा है।

इको गार्डन में टूटा ड्रेनेज
छावनी स्थित जीएसटी कार्यालय के पीछे महापालिका ने खाम नदी के किनारे सुंदर इको गार्डन बनाया है, जहां नागरिकों की आवाजाही भी बढ़ी थी। लेकिन गार्डन में बने कमल तालाब के पास ही छावनी की ड्रेनेज लाइन है, जो मई से फटी हुई है। अभी तक उसकी मरम्मत नहीं हुई, जिसके कारण पूरे परिसर में तेज दुर्गंध फैल रही है। इतना ही नहीं, यह गंदा पानी सीधे खाम नदी में भी जा रहा है।

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