मराठवाड़ा में ‘अतिवृष्टि आपदा’ घोषित करने की मांग, किसानों की हालत बदतर
बारिश से तबाही: किसानों की फसलें बह गईं, विधायक अजित पवार से मिले

औरंगाबाद/प्रतिनिधि
मराठवाड़ा में लगातार हो रही मूसलधार बारिश से खेती-किसानी पर जबरदस्त असर पड़ा है। बीड, लातूर, धाराशिव, हिंगोली, परभणी और अन्य जिलों में अतिवृष्टि से किसानों की फसलें पूरी तरह बह गई हैं, साथ ही उपजाऊ जमीन को भी भारी नुकसान हुआ है। इसी पृष्ठभूमि में सभी दलों के विधायकों ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात कर मराठवाड़ा में ‘अतिवृष्टि आपदा’ घोषित करने की मांग की है।
अजित पवार ने आश्वासन दिया है कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है और इस मुद्दे पर आज होने वाली कैबिनेट बैठक में बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।
विधायकों की मांग और किसानों की स्थिति
भाजपा विधायक रत्नाकर गुट्टे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के राजू नवघरे, राजेश विटेकर और ठाकरे गुट के राहुल पाटील ने अजित पवार को ज्ञापन सौंपा। गुट्टे ने कहा, “पिछले 50 वर्षों में इतना भीषण बारिश कभी नहीं हुई। धान्य और अन्य फसलें बह गई हैं। किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। अतिवृष्टि आपदा घोषित करना अब जरूरी है।”
वहीं राजू नवघरे ने बताया कि गन्ना, केला जैसी नकदी फसलें और जनहानि भी बड़े पैमाने पर हुई है। ठाकरे गुट के राहुल पाटील ने कहा कि “सोयाबीन, कपास जैसी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। सरकार ने जो वादा किया है उसके अनुसार तुरंत मदद घोषित करनी चाहिए।”
अतिवृष्टि की स्थिति
पिछले 24 घंटों में 32 मंडलों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश दर्ज की गई। बीड जिले के 15, लातूर के 4, धाराशिव के 7, परभणी के 4 और हिंगोली के 2 मंडलों में मूसलधार बारिश हुई। बांधों से पानी छोड़ने के कारण पूर्णा, दुधना और गोदावरी नदियां उफान पर हैं।
हिंगोली में लगातार चार दिन से हो रही बारिश ने सोयाबीन, कपास, हल्दी और गन्ने जैसी फसलें पूरी तरह बहा दी हैं। उपजाऊ मिट्टी तक बह जाने से किसानों की चिंता और बढ़ गई है। कर्ज लेकर की गई खेती तबाह हो गई है, जिससे अगले साल का खेती का प्लान बनाना मुश्किल हो गया है।
आगे का रास्ता
सरकार पर दबाव है कि जल्द से जल्द पंचनामा कर नुकसान की भरपाई दी जाए। किसानों की बदहाली और विधायकों की एकमुखी मांग को देखते हुए आज की कैबिनेट बैठक में ‘अतिवृष्टि आपदा’ घोषित करने पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
