पैठण की गोदावरी नदी का महापूर ‘मानवनिर्मित’ — दत्ता भाऊ गोर्डे का आरोप

पैठण/नुमान पठान
जायकवाड़ी के नाथसागर बांध को 100 प्रतिशत भरने तक जलसंचय दबाकर रखना किसी भी बांध नियंत्रण नियमावली में नहीं आता। बांध 85 से 90 प्रतिशत भरते ही प्राकृतिक जलआवक और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखकर जलसंचय नियंत्रित किया जाता है, ताकि जलाशय की सुरक्षा सुनिश्चित रहे। लेकिन इस सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया, ऐसा गंभीर आरोप पूर्व नगराध्यक्ष और उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गुट के नेता दत्ता भाऊ गोर्डे पाटिल ने आज पत्रकार परिषद में लगाया। वे पैठण पत्रकार संघ के कार्यालय में बोल रहे थे।
दत्ता भाऊ गोर्डे पाटिल ने बताया कि 25 सितम्बर 2025 को जिलाधिकारी, पाटबंधारे विभाग के अधीक्षक अभियंता, कार्यकारी अभियंता और शाखा अभियंता की बैठक हुई थी। इस बैठक में नासिक और पुणे वेधशालाओं ने 26, 27 और 28 सितम्बर को महाराष्ट्र भर में बादल फटने जैसी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था। ऐसे में गोदावरी नदी किनारे के सभी धरणों से समय पर पानी का विसर्ग करना आवश्यक था, ताकि बस्तियों को सुरक्षित रखा जा सके।
“लेकिन जायकवाड़ी धरण प्रबंधन ने समय पर कोई कदम नहीं उठाया, जिसके चलते पैठण की जनता को अपनी पूरी संपत्ति गंवानी पड़ी,” ऐसा दावा गोर्डे पाटिल ने किया।
उन्होंने नांदेड जिले के विष्णुपुरी धरण का उदाहरण देते हुए कहा कि 26 सितम्बर को वहां से 1 लाख 22 हजार 610 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। उसके बाद भी विसर्ग का नियोजन इतना सटीक था कि किसानों को कोई बड़ी हानि नहीं हुई। जबकि जायकवाड़ी धरण में 2 लाख क्यूसेक पानी की आवक होते हुए भी 26 सितम्बर को सिर्फ 47 हजार क्यूसेक और 27 सितम्बर को 66 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। अचानक 28 सितम्बर को करीब 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया, जिससे गोदावरी किनारे के गांवों में तबाही मच गई।
गोर्डे पाटिल ने कहा, “इस पूरी आपदा के लिए जायकवाड़ी धरण प्रबंधन और प्रकल्प नियंत्रण अधिकारी पूरी तरह जिम्मेदार हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब-जब जायकवाड़ी धरण 85 प्रतिशत भरता है, तब तक साफ नहीं किए गए गाद और पाणलोट क्षेत्र की जमीनें पानी में डूब जाती हैं, जिससे किसानों का बड़ा नुकसान होता है। इस नुकसान की भरपाई (मुआवजा) किसानों को मिलनी चाहिए।
इस पत्रकार परिषद में अजय परळकर, गणेश पवार, कल्याण मगरे और कादरी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।
