सिल्लोड विधानसभा में चुनावी घमासान: शिवसेना उम्मीदवार अब्दुल सत्तार के खिलाफ भाजपा का प्रचार से इनकार, जानें क्या है मामला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं, और सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार सत्तार, जो वर्तमान में राज्य के अल्पसंख्यक विकास मंत्री हैं, शिवसेना की ओर से उम्मीदवार बनाए गए हैं। लेकिन स्थानीय भाजपा इकाई ने सत्तार के लिए प्रचार न करने की घोषणा कर दी है, जिससे महायुति गठबंधन के अंदर दरार की अटकलें लगने लगी हैं।
सत्तार के खिलाफ भाजपा का विरोध क्यों?
भाजपा की सिल्लोड इकाई के अध्यक्ष कमलेश कटारिया ने आरोप लगाया कि अब्दुल सत्तार न केवल भाजपा को खत्म करने की बात कर रहे हैं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं को धमका भी रहे हैं और उनके खिलाफ फर्जी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। कटारिया ने दावा किया कि सत्तार ने जालना लोकसभा सीट पर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे को हराने के लिए कांग्रेस उम्मीदवार कल्याण काले का समर्थन किया था।
कटारिया ने कहा, “हम सत्तार के लिए प्रचार नहीं करेंगे, भले ही वह महायुति के उम्मीदवार हैं। उनकी हरकतें भाजपा के खिलाफ हैं और वह हमारे कार्यकर्ताओं को डरा रहे हैं। हमने इस मुद्दे की जानकारी राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी दे दी है।”
अब्दुल सत्तार का राजनीतिक सफर
अब्दुल सत्तार ने 2009 और 2014 में कांग्रेस के टिकट पर सिल्लोड विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद, उन्होंने तत्कालीन अविभाजित शिवसेना का दामन थामा और 2019 में शिवसेना के टिकट पर जीत दर्ज की। शिवसेना के विभाजन के बाद, वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए और महायुति सरकार में मंत्री बन गए, जिसमें भाजपा और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी भी शामिल है।
भाजपा की प्राथमिकता और राज्य नेतृत्व को संदेश
भाजपा की स्थानीय इकाई का कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय हित है और वे ऐसे उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं कर सकते जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा हो। कटारिया ने स्पष्ट किया कि उन्होंने भाजपा के राज्य नेतृत्व को पत्र लिखकर सूचित किया है कि सत्तार का समर्थन नहीं किया जाएगा। यह कदम भाजपा और महायुति के बीच आपसी विश्वास की कमी को भी दर्शाता है।
चुनाव पर संभावित असर
भाजपा के इस कदम से सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र में चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। शिवसेना के सत्तार को मजबूत विरोध का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब भाजपा के कार्यकर्ता मैदान में सक्रिय नहीं होंगे। सत्तार का मुकाबला उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के सुरेश बंकर से हो रहा है। भाजपा की नाराजगी का असर महायुति के आंतरिक समीकरणों पर भी पड़ सकता है, जिससे विपक्ष को लाभ मिल सकता है।
इस घटनाक्रम ने आगामी चुनावों को लेकर एक नई सियासी बहस छेड़ दी है, जहां भाजपा और शिवसेना के बीच बढ़ता तनाव महायुति की चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।