हैदराबाद बनाम भाग्यनगर: आरएसएस के लोकमंथन से नाम बदलने की मांग तेज
हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की मांग अब और जोर पकड़ रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसे भारत की सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना बताते हुए अपने रुख को स्पष्ट किया है। संघ की सांस्कृतिक इकाई प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित लोकमंथन कार्यक्रम में हैदराबाद को भाग्यनगर के रूप में संबोधित किया गया है।
लोकमंथन: सांस्कृतिक पुनरुत्थान का मंच
चार दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी, जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति हिस्सा लेंगे। इस आयोजन का विषय “लोकावलोकन” है, जो भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों की गहराई से पड़ताल करेगा।
भाग्यनगर नाम की पृष्ठभूमि
आरएसएस के अनुसार, “भाग्यनगर” का नाम भाग्यलक्ष्मी मंदिर से प्रेरित है, जो इस शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है। संघ ने इसे भारत की सांस्कृतिक एकता को पुनर्जीवित करने का प्रयास बताया है।
नाम बदलने पर बढ़ी सियासी हलचल
- योगी आदित्यनाथ और किशन रेड्डी जैसे भाजपा नेता पहले ही भाग्यनगर नाम की वकालत कर चुके हैं।
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से असमर्थता जताई है।
- तेलंगाना में आगामी चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा और भी ज्यादा राजनीतिक रंग ले रहा है।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व
इस आयोजन में लिथुआनिया, आर्मेनिया, इंडोनेशिया और रूस जैसे देशों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम के तीन प्रमुख आयाम – लोक विचार, लोक व्यवहार और लोक व्यवस्था पर गहन चर्चा होगी।
हिंदुत्व की नई परिभाषा?
आरएसएस ने हिंदुत्व को धार्मिक सीमाओं से परे रखते हुए इसे एक सांस्कृतिक और समावेशी परंपरा बताया। संघ ने इसे औपनिवेशिक विचारधाराओं के खंडन और भारतीय समाज की सांस्कृतिक एकता को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करार दिया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताते हुए नाम बदलने की मांग का विरोध किया है। लेकिन लोकमंथन जैसे कार्यक्रम के जरिए आरएसएस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में केंद्र में रहेगा।
क्या भाग्यनगर नाम बदलाव हैदराबाद के भविष्य को बदल देगा, या यह सिर्फ राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है? – इस सवाल का जवाब जनता और आने वाले दिनों की राजनीति तय करेगी।