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तेलंगाना कांग्रेस में सियासी हलचल, 10 विधायकों की गुप्त बैठक से बगावत की अटकलें तेज

हैदराबाद: तेलंगाना कांग्रेस में आंतरिक कलह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। कांग्रेस के 10 विधायकों की एक गुप्त बैठक होने की खबर सामने आई है, जिससे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि ये विधायक मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी की कार्यशैली से नाराज हैं।

गुप्त बैठक से कांग्रेस में हलचल

जानकारी के अनुसार, विधायक अनिरुद्ध रेड्डी के फार्महाउस पर कांग्रेस के 10 विधायकों की गुप्त बैठक हुई। इस बैठक में नैनी राजेंद्र रेड्डी, भूपति रेड्डी, येनम श्रीनिवास रेड्डी, मुरली नाइक, कुचुकुल्ला राजेश रेड्डी, संजीव रेड्डी, अनिरुद्ध रेड्डी, लक्ष्मीकांत, दोंती माधव रेड्डी और बिरला इलैया शामिल थे। इस बैठक के बाद पार्टी में बगावत की अटकलें तेज हो गई हैं।

रेवंत रेड्डी ने शुरू किया डैमेज कंट्रोल

जैसे ही इस बैठक की खबर सामने आई, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तत्काल डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया। उन्होंने विधायकों की आपात बैठक बुलाई और मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी को भी इस बैठक में बुलाया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पोंगुलेटी श्रीनिवास ने अपना पूर्व निर्धारित दौरा रद्द कर दिया।

‘ऑपरेशन लोटस’ की भी चर्चा तेज

राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को लेकर ‘ऑपरेशन लोटस’ की चर्चा भी जोरों पर है। बताया जा रहा है कि अगर ये 10 विधायक पार्टी से बगावत कर देते हैं, तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ सकती है। तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस के पास फिलहाल 64 विधायक हैं, जो बहुमत से सिर्फ 4 ज्यादा हैं। अगर 10 विधायक अलग होते हैं, तो सरकार संकट में पड़ सकती है।

कांग्रेस सांसद ने बगावत की खबरों को किया खारिज

नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद मल्लू रवि ने बगावत की खबरों को खारिज किया। उन्होंने बताया कि विधायकों की बैठक किसी फार्महाउस में नहीं, बल्कि आईटीसी कोहिनूर होटल में हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि डिनर में 10 विधायकों को शामिल होना था, लेकिन केवल 8 ही पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने सभी विधायकों से बात की है और किसी भी तरह की बगावत की संभावना नहीं है।

तेलंगाना में कांग्रेस की सियासत पर मंडरा रहे संकट के बादल

हालांकि, कांग्रेस आलाकमान इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। अगर असंतोष बढ़ता है, तो इसका असर आगामी स्थानीय निकाय और एमएलसी चुनावों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के सामने बड़ी चुनौती यह होगी कि वे अपनी सरकार को एकजुट रख पाएं।

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