मोदी सरकार शर्म करो: अमेरिका से अपमानित करके लौटे भारतीय, मोदी सरकार की चुप्पी पर विपक्ष का हमला

नई दिल्ली: बजट सत्र के पांचवें दिन अमेरिका से जबरन निकाले गए भारतीयों का मुद्दा संसद में जोर-शोर से गूंजा। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और “मोदी सरकार शर्म करो” के नारे लगाए। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष को समझाने की कोशिश की कि यह विदेश नीति से जुड़ा मुद्दा है और सरकार इस पर ध्यान दे रही है। लेकिन भारी हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा,
“100 से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से बाहर निकाल दिया गया है। यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है। मोदी सरकार चुप क्यों है? अमेरिका के इस अमानवीय व्यवहार की निंदा क्यों नहीं की गई?”
भारतीयों को मिलिट्री प्लेन से भेजा जा रहा वापस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 फरवरी को 100 से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका से जबरन निकालकर भारत भेजा गया। आज भी कई भारतीय अहमदाबाद पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी सरकार मिलिट्री प्लेन के जरिए अवैध प्रवासियों को उनके मूल देशों में वापस भेज रही है।
ट्रंप की नई नीति और भारतीयों पर असर
20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और उसी दिन उन्होंने अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने का ऐलान किया था। ट्रंप ने कहा था कि,
“ये लोग बहुत खतरनाक अपराधी हैं। ये हत्यारे हैं और इतने खतरनाक हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए सबसे पहले इन्हें निकालना जरूरी है।”
इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने “लैकेन रिले एक्ट” पर हस्ताक्षर किए, जिससे अमेरिकी अधिकारियों को अवैध अप्रवासियों को निकालने का अधिकार मिल गया। इस नीति के तहत 15 लाख अवैध प्रवासियों की सूची तैयार की गई, जिसमें 20,407 भारतीय भी शामिल हैं।
भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल
विपक्ष ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार अमेरिका के इस कदम पर चुप क्यों है? क्या भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? संसद में इस मुद्दे को लेकर अगले कुछ दिनों में और हंगामा होने की संभावना है।
क्या होगा आगे?
अब देखना होगा कि भारत सरकार अमेरिका से जबरन निकाले गए भारतीयों के लिए क्या कदम उठाती है। क्या यह मामला कूटनीतिक स्तर पर उठाया जाएगा या फिर भारत सरकार इसे अमेरिका का आंतरिक मामला बताकर किनारा कर लेगी?