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दिल्ली: हाईकोर्ट के आदेश पर तैमूर नगर में DDA की कार्रवाई, दशकों पुराने मकान जमींदोज – पीड़ित बोले, “हम कहां जाएं?”

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के तैमूर नगर में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने अतिक्रमण हटाने की बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। नालों की सफाई और जल निकासी को दुरुस्त करने के लिए DDA की टीम ने सोमवार को कम से कम आठ बुलडोज़रों की मदद से अनधिकृत निर्माणों को तोड़ना शुरू किया। इस कार्रवाई का मकसद मानसून से पहले नालों की सफाई और बाढ़ की आशंका को कम करना है।

हालांकि इस कार्रवाई के बीच कई स्थानीय निवासियों का दर्द भी सामने आया है, जो पिछले कई दशकों से इस इलाके में रह रहे थे और अब बेघर हो गए हैं।

“35 साल से रह रहे थे, अब किराया कैसे देंगे?”
राजू वैद्य, जो एक सरकारी स्कूल में सफाईकर्मी हैं, उनका घर इस कार्रवाई में सबसे पहले ढहाया गया। उन्होंने बताया कि उनका परिवार 35 वर्षों से तैमूर नगर में रह रहा था, लेकिन अब उन्हें मजबूरी में किराए पर घर लेना पड़ा है। “सरकार को कम से कम हमें कोई रहने की जगह तो देनी चाहिए थी,” राजू ने कहा।

“45 साल से रह रहे हैं, कोई विकल्प नहीं दिया गया”
इसी इलाके के निवासी मैदुल अब्दुल अज़ीज़ का कहना है कि उन्हें 2013 में DUSIB द्वारा फ्लैट देने का आश्वासन मिला था, लेकिन आज तक कुछ नहीं मिला। “अब आठ बच्चों और पोते-पोतियों को लेकर कहां जाऊं?” उन्होंने सवाल उठाया।

“1990 से रह रहे हैं, अब किराया कैसे भरें?”
वाल्मीकि झुग्गी के प्रेम पाल ने बताया कि कई लोग 1990 के दशक से इस बस्ती में रह रहे हैं। “10 लोगों के परिवार का किराया 7,000 से 10,000 रुपये है, मेरे पास इतनी आमदनी नहीं है,” उन्होंने कहा।

हाईकोर्ट ने क्यों दिया आदेश?
दरअसल 2 मई को हुई बारिश और आंधी के बाद दिल्ली के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। कोर्ट ने इसके लिए नालों पर हो रहे अतिक्रमण को जिम्मेदार ठहराया और 3 मई को स्पष्ट निर्देश दिया कि DDA नाले के रास्ते में आने वाले सभी अतिक्रमण हटाए। कोर्ट में महारानी बाग और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के निवासियों ने मानसून के समय भारी जलभराव की शिकायत की थी।

DDA की यह कार्रवाई जहां एक ओर राजधानी को बाढ़ से बचाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करती है – क्या इन वर्षों से रह रहे लोगों के पुनर्वास की कोई योजना है?

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