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पहलगाम हमले के बाद देश में बढ़ी नफरत, आगरा में मुस्लिम रेस्टोरेंट वर्कर की गोली मारकर हत्या, कथित गौरक्षक ने ली जिम्मेदारी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है। जहां एक तरफ आम नागरिकों की आंखों में आंसू हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ दक्षिणपंथी संगठन इस घटना को मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने का जरिया बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर खुलेआम मुस्लिम नरसंहार की बातें की जा रही हैं, जिसका असर अब देश के अलग-अलग हिस्सों में नजर आने लगा है।

आगरा में मुस्लिम युवक की गोली मारकर हत्या

उत्तर प्रदेश के आगरा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां बसई चौकी इलाके में एक रेस्टोरेंट में काम करने वाले युवक गुलफाम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने पहले गुलफाम से उसका नाम पूछा और फिर उसे गोली मार दी। गोली लगने से गुलफाम मौके पर ही लहूलुहान होकर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। उसके साथ मौजूद सैफ अली को भी गोली के छर्रे लगे, लेकिन वह बाल-बाल बच गया।

वीडियो में हत्या की जिम्मेदारी लेने का दावा

घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है। खुद को क्षत्रिय गौरक्षा दल का सदस्य बताने वाले मनोज चौधरी नामक शख्स ने वीडियो जारी कर कहा, “आगरा में दो कटुवे मारे गए, 26 का बदला 2600 से लेंगे।” वीडियो में दो लोग भारी हथियारों के साथ नजर आ रहे हैं और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे हैं।

पुलिस ने नकारा संगठन का अस्तित्व

हालांकि, आगरा पुलिस ने वीडियो में किए गए दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि ‘क्षत्रिय गौरक्षा दल’ नामक संगठन का आगरा में कोई अस्तित्व नहीं है और वीडियो में नजर आने वाला व्यक्ति भी आगरा का निवासी नहीं है। पुलिस के मुताबिक, हत्या का कारण खाना खाने को लेकर हुआ विवाद हो सकता है। फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच जारी है और आरोपियों की तलाश की जा रही है।

कश्मीरी छात्रों पर भी हमले के दावे

इसी बीच उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कश्मीरी छात्रों से मारपीट किए जाने के दावे किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस बढ़ती नफरत को लेकर चिंता जताई जा रही है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।

माहौल बिगाड़ने की कोशिश

पहलगाम हमले के बाद देश के कुछ हिस्सों में जिस तरह से नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है, वह सामाजिक सौहार्द के लिए खतरे की घंटी है। ज़रूरत इस बात की है कि ऐसे मामलों में सख्ती से कार्रवाई की जाए और कानून अपने हाथ में लेने वालों को सज़ा दी जाए।

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